Book Title: Shatkhandagama Pustak 16
Author(s): Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 325
________________ ३७ ) नोकर्मद्रव्यनारक नोक पर्याय नोकर्मपुद्गल नोकर्म पुद्गलपरिवर्त्तन ४- ३२५ नोकर्म प्रकृति नोकर्म प्रक्रम नोकर्मबन्धक नोकर्ममोक्ष नोकर्मवेदना नोकर्म संक्रम १६-३३९ १३- ४, ५ नोकर्मस्पर्श नोकषाय ६-४० ; ४१; १३ ३५९ कृति नगण्य नगौण्यपद नोजीव नोत्वक् नो प्रकृतिदीर्घ नोप्रकृति स्व नोप्रदेशदीर्घ नोप्रदेश स्व नोकषायवेदनीय ६-४५; १३-३५९,३६१ ९-२७४ नोमनोविशिष्ट नोस्थितिदीर्घ न्याढ्य न्याय न्यास पक्ष ७-३० | पक्षिन् ४-३२७ पट्टन ४-३३२ पट्टन विनाश १३-३३२,३३५, नोस्थितिह, स्व न्यग्रोधपरिमण्डलशरीर संस्थाननाम पक्षधर्मत्व न्यग्रोधपरिमण्डलसंस्थान६-७१ Jain Education International १३-२०५ पद १५-१५ ७-४ पदनिक्षेप १६-३३७ पद्मलेश्या । १९०; ७-१०४; १०-७ ८-३३३, ३४५; १६-४८० ४.८,४९२ १-८२ पदमीमांसा ९- १४१; १० ६९; १२-३१४-५०, ३२२ परस्थान (अल्पबहुत्व ) ३ २०८ पदश्रुतज्ञान १३- ६५ ९-४२९,४३८ पदसमास ६-२३; १२- ४८० | परस्थानात्पबहुत्व ५-२८९; १३-२६७ १०-४.६ १३-२६१ || परस्परपरिहारलक्षणविरोध ९-५९,६० १३-२६१ पराक्रम १३-८९ परिकर्श ४-२३२ १५-२७६, २७७ परिग्रह ६५९, ८-१० १३-३६३ ९-१३५ | पदानुसारी १-७४ पदावरणीय १३-३६८ १२-२९६,२९७ पदाहिन पन्नग १३-१९ १६-५०७ पयदकरण १६-५०९ परघात १६-५०९ परघातनाम १६-५११ परप्रकृतिसंक्रमण १०-१९ परप्रत्यय १६- ५०८ परभविक १६-५१० परिशिष्ट १३-२८६ १३-२८६ पदसमासावरणीय ६-२३, १०-२९, १२-३, ४ ०;१३-२६०,२६५ ४-३२० १३-३९१ परमार्थंकाल १३-३३५ | परमावधि ६-२-९- ४,४१, १३.२९२,३२२ परभविकनामकर्म ३-१८ | परमाणु ३४१ परम्परापर्याप्ति १०-४२९ परम्पराबंध १२-३७०,३७२ परंपरा लब्धि १३-२००,२८३ परम्परोपनिधा ६-१५२ २९८,३०० १३-२४५ | परमार्थ परभविक नाम प्रकृति १६-३४२ परभविकनामबंधाध्यवसान प ४-३१७,३९५; १३- | परमाणुपुद् गलद्रव्यवर्गणा परवाद ४-२३; १३-११' १८,२१५; १४-५४ ६-३७८; १०-२०५ ११-३५२; १२.२१० ; १४-४९ १३-२८०,२८८ ६-१७१ परिग्रह संज्ञा ४-२३४ परिचित १६-३६३ परसमयवक्तव्यता ७-४३६; १३-३४५ ९-९३ परिजित ९ - २६८; १३ २०३ ६- २९३ परिणाम १-८०; १५-१७२ ३३०,३४७ | परिणमतः आत्तपुद्गल For Private & Personal Use Only परिग्रहत: आत्तपुद्गल १६-५.५ परिणामप्रत्यय ६-३१७ १६-३८७ परिणामप्रत्ययिक १५-१७२, २४२,२६१ १३-१७,२६२, २६३,२९९ १२-२८२ १६ ५१५ १.४.५ ९-२५२ १४- १२१ | परित्तजीविय ५-७ | परित्तापन परिणामयोग १०-५५, ४२० परित अपरित वर्गणा १४-५८ २७४ १३-४६ www.jainelibrary.org

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