Book Title: Shatkhandagama Pustak 16
Author(s): Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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धवलासहितसमग्रषटखडागमस्य पारिभाषिक-शब्द-सूची
( ४८
वर्ग ४-२०,१४६; १०-१०३ वर्षपृथक्त्वान्तर ५-१८ | वासुदेवत्व ६-४८९,४९२
४९५,४९६ १५०,४५०,१२-९३ | वर्षपृथक्त्वाय वर्गण ५-२०० वर्षसहस्र
४-४१८, विकल्प ३-५२,७४; ५-१८९ वर्गणा ६-२०१.३७०८-२, वल्लरिच्छेद १४-४३६
७-२४७ ९-१०५; १०-४४२,४५०, वशित्व
९-७६, विकलप्रक्षेप १०-२३७,२४३ ४५७; १२-९३, १४-५१ वस्तु
२५६ १-१७४,३-६,६-२५, वर्गणादेश १४-१३६
९-१३४,१२-४८०,
विकलप्रत्यक्ष ९-१४३ वर्गणाद्रव्यसमुदाहार १४-४९,
१६.२६० । बिकलादेश ५३-५४ | वस्तुआवरणीय १३-२६० | यिकृतगोपुच्छा १०-२४१, वर्गणानययिभाषणता १४-५२ | वस्तुश्रुतज्ञान १३-२७०
२५० वर्गणानिक्षेप १४-५१ वस्तुसमास ६-२५; १२-४८०
| विकृतिस्वरूपगलित १०-२४९ वर्गणाप्ररूपणा
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१४-४९ / वस्तुसमासश्रुतज्ञान १२-२७० .x.x.laममायतजान १२.२७० विक्रिया
१.२९१ वर्गमूल ३-१३३,१३४, | वस्तुसमासावरणीय विक्रियाप्राप्त ९.७५ ४-२०२५-२६७,
१३-२६० - विक्षपणी १.१०५; ९-२०२ १०-१३१ | वाइम ९-२७२ विक्षोभ
४-३१९ वर्गशलाका ३-२१,३३५
वाक्प्रयोग
९-२१७ | विग्रह ४-६४,१७५; ५-१७३; वर्गस्थान ३-१९ | वाग्गुप्ति १-११६; ९-२१६
११-२० वर्गसंवर्गित ३-३३५ वागुरा
१३-३४ | विग्रहगति १-२९९;-४२६; वगितसंगितराशि ३-१९ | वाग्योग १-२७९,३०८
३-४३,८०,५-३००, वर्ण ६-५५; ८-१०, ९.२७३ |
१४-२२
८-१६० वर्णनाम १३-३३६,३६४, वाचना ९-२५२,२६२; | विग्रहगतिनामकर्म ४.४३४
३७०
१३-२०३; १४-८ | विगर्वणादिऋद्धिप्राप्त ४-१७० वर्तमान १३-३३६,३४२ वाचनापगत ९.२६८; विगर्वमानएकेन्द्रिय राशि वर्तमानप्रस्थ १३.२०३,१४-८
४-८२ वर्तमान विशिष्टक्षेत्र ४-१४५ वाच्यवाचक्रशक्ति ४-२ | विजय ४-३१८,२८६ वर्धनकुमार ६-२४७ वातवलय
४-५१ विज वर्धनकुमार मिथ्यात्वकाल वादाल
३-२५५ विज्ञप्ति
१३-२४३ ४-३२४] वानव्यन्तर ८-१४६; | वितत
१३-२२१ वर्धमान ५-११९,१२६,
१३-३१४ | वितर्क
१३-७७ १३-२९२,२९३
वामनशरीरसंस्थान ९-७२ | विद्याधर ९-७७,७८ वर्धमानभट्टारक १२-२३१ | वामनशरीरसंस्थाननाम विद्यानुवाद १-१२१; ९-७१, वधितराशि
१३-३६८
२२३ वर्वर १३-२२२ | वायू
विद्यावादी ९-१०८,११३ वर्ष ४-३२०; १३-३०७ | वायुकायिक १-२७३; ७-७१;
विद्रावण
१३-४६
४-२२६ वर्षपृथक्त्व ४-३४८; ५-१८, ५३,५५,२६४; १३-३०७ | वारुण
४-३१८ | विदेह For Private & Personal Use Only
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८-१९२ | विदिशा
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