Book Title: Shatkhandagama Pustak 16
Author(s): Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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४९ )
विदेहसंयतराशि विधिनय
विध्यात भागहार विध्यात संक्रम
विनय
विनयसम्पन्नता
विनाश
विपरितमिथ्यात्व
विपाक
विपाकविचय
विपुलगिरि विपुलमति
४.४५ विरच
विरति
१६.४४८ विरलन
६.२३६.
२८९, १६.४०९ | विरलित ८.८०, १३.६३ | विरह ८७९,विलेपन ८० विविक्त
विन्यासक्रम
विपक्ष सत्व
विपच्चिद
विपरिणामता
१५.२८३ विशरीर
विपरिणामोपक्रम १५.२८२; विशिष्ट
1
६.९१ ।
विपाकविचयअजीवभावबन्ध
विपाकविचयजीवभावबन्ध
विमानप्रस्तर
विमानशिखर विमानेन्द्रिय
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१०.६९,८२ विषयिन्
विस्तार
विस्तारानन्त
९. २७३ विस्तारासंख्यात १३५८ विस्रसापरिणतअवगाहना १३.५८
४. ३३६ ; विविक्तशय्यासन
१४.२५
१५.१९ विविधभाजनविशेष १३.२०४ विस्रसापरिणगति १४.२५ ४.७६ विवेक १३.६०
१४.२५
१३.२४५ | विलोम प्रदेशविन्यास
विस्रसापरिणतगन्ध विस्रसापरिणतरस १०.४४ विस्रसापरिणतवर्ण १४.२५
५४.२५
१६.५०३
१४.२३७ विस्रसापरिणतस्कन्ध १४.२६ १०.१९ विस्रसापरिणतम्कन्धदेश ११.३१४ ६.१८०, ०४; विस्रसापरिणतशब्द ११.२०९
१४.१०,११
१२.२३१
६.२८;
विपुलमतिमन:पर्ययज्ञाना
९.६६
वरणीय
१३.३३८,३४०
विभंगज्ञान
१.३५८; १३.२९१
विभंगज्ञानी ७.८४; ८.२७९;
विमाता
विमान ४.१७०; १४.४९५ विमानतल
परिशिष्ट
१४.१०
१६.५५५ | विशुद्धता ८.२० विशुद्धि १३.७२ विशुद्धिस्थान ११.२०८,२०९ विस्रसापरिणतस्पर्श विशुद्धिलब्धि ६.२०४ १४.२३ विशेष ४.१४५.१३.२३४ विस्रसापरिणतसंस्थान विशेषमनुष्य ७.५२,१५.९३ विशेषविशेषमनुष्य ७.५२;
१४.३५२ | विष्णु विषम
विषय
८ ८२; १४.१२
३.१९;४.२० ' ;
विष
विष्कम्भ
३.४०, ४२, ७.२४७ ४.३९०, ५ . ३
१.११९
१४.३३
४.१९५ | विष्कम्भसूची गुणितश्रेणी
१३.२१६
१३.२१६
४.१६५
३. १६
३.१२५
१४.४९५ ४.२२७ विष्कम्भार्ध
१४.४९५ | विष्ठौषधिप्राप्त
४.८०
४.१२
९.९७
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विस्रसाबन्ध
१४.२२४
१५.९३ | विस्रसासुवचय १३.५, ३४ विस्रसासुवचयप्ररूपणता ४.११,४५, १४७ विष्कम्भचतुर्भाग ४.२०९ विस्रसोपचय ४.२५,९,१४, विष्कम्भवर्गगुणितरज्जु ४.८५ विष्कम्भवदशगुणकरणी
वीचार.
१४.२६
६७,१०.४८; १३.३७१ विसंयोजन ४.३३६; १२५० ६.६१,८.१० ४. २०९ | विहायोगति १४.३० | विष्कम्भसूची ३.१३१,१३३, विहायोगतिनाम १३.३६३,
१४.२०
१३८.१०.६४
३६५ विहायोगति नामकर्म ४.३२ विहारवत्स्वस्थान ४.२६,३२,
१६६७.३००
१३.७७
१४.२५
१०.२५
१४.२६
१४.२६
१४.४३०
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