Book Title: Shatkhandagama Pustak 16
Author(s): Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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३९)
परिशिष्ट
पुलविय
४-१९५
पुरुषवेददण्डक ८-२७५ | पृथिवी
४.४६० | प्रकीर्णकाध्याय १३-२७६ पुरुष (पुरिस) वेदभाव १४-११ | पृथिवीकायिक ३-३३० ; ७- | प्रकृति १२-३०३,१३-१९७, पुरुषवेदोपशमनाद्धा ५-१९०
७०८-१९२
२०५ १४-८६ पृथिवीकायिकनामकर्म ७-७० | प्रकृतिअनुयोगद्वार ९-२३२ पुष्करद्वीप ४-१९५ पैशुन्य
१-१७ | प्रकृतिअल्पबहुत्व १३-१९७ पुष्करद्वीपार्ध ४-१५० पोतकर्म ९-२४९ ; १३-९,
प्रकृतिगोपुच्छा १०-२४१ पुष्करसमुद्र
४१,२०२; १४-५
प्रकृतिदीर्घ १६-५०७ पुष्पोत्तरविमान ९-१२० | पंकवहलपथिवी ४.२.२ प्रकृतिद्रव्यविधान १३-१९७ पुंडरीक १-९८; ९-१९१ | पंचच्छेद
३-७८ प्रकृतिनयविभाषणता पुंवेद १-३४१ | पचद्रव्याधारलोक ४-१८५
१३-१९७ पूरिम ९-२७२,२७३ | पंचमक्षिति १३-३१८ प्रकृतिनामावधान १३-१९७ पूर्व ४-३१७, ६-२५; १२- | पंचमपृथिवी
(प्रकृतिनिक्षेप १३-१९७,१९८
४-८९ ४८०, १३-२८०,२८९,३०० | पंचमुष्टि
९-१२९ / प्रकृतिबंध ८-२७; ६-१९८; पूर्वकृत ९-२०९ पंचविधलब्धि ७-१५
२०० पूर्वकोटी ४-३४७,३५०,३५९, |पंचलोकपाल
| प्रकृतिबंघव्युच्छेद ३६६ | पंचसामायिकयोगस्थान
प्रकृतिमोक्ष १६-३३७ पूर्वकोटीपृथक्त्व ४-३६८,३७३,
१०-४९५
प्रकृतिविकल्प ४-१७६ ४००,४०८;५-४२,५२,७२ पंचांश
४-१७८
प्रकृतिविशेष १०-५१०,५११ पूर्वगत १-११२ | पंचेन्द्रिय १-२४६,२४८,
प्रकृतिशब्द १३-२०० पूर्वधर १५-२३८
२६४;७-६६ प्रकृतिस्थानउपशामना पूर्वफल ३-४९, पंचेन्द्रियजाति १-२६४, ६-६८
१५-२८० पूर्वश्रुतज्ञान १३-३७१
८-११
प्रकृतिस्थानबन्ध ८-२ पूर्वसमास ६-२५; १२-४८० | पंचेन्द्रियजातिनाम १३-३६७
प्रकृतिसत्कर्म १६-५२२ पूर्वसमासश्रुतज्ञान १३-२७१ पंचेन्द्रियतिर्यग्गतिप्रायोग्यानु
प्रकृतिसमुत्कीर्तना ८-७ पूर्वसमासावरणीय १३-२६१ | पूर्वी
४-१९१ | प्रकृतिसंक्रम १६-३४० पूर्वस्पर्द्धक १०-३२२,३२५; | पंचेन्द्रियतिथंच ८-११२ | प्रकृतिस्वरूपगलित १०-२४९
१३-८५; १६-५२०,५७८ | पंचेन्द्रियतिर्यंचअपर्याप्त प्रकृतिह,स्व १६-५०९ पूर्वातिपूर्व १३-२८०
८-१२७ प्रकृत्यर्थता १२-४७८ पूर्वानुपूर्वी १-७३; ९-१३५; | पंचेन्द्रियतिर्यंचपर्याप्त ८-११२ | प्रक्षेप ३-४८,४९,१८७; १२-२२१ पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिमती
६-१५२; १०-३३७ पूर्वाभिमुखकेवली ४-५०
८-११२ | प्रक्षेपप्रमाण
१०-८८ पूर्वावरणीय १३-२६१ पंचेंद्रियलब्धि १४-२० प्रक्षेपभागहार १६-७६,१०१ पृच्छना ९-२६२; १३-२०३ |पंजर
१३-५,३४। प्रक्षेपराशि
३-४९ पृच्छाविधि १३-२८०,२८५ पजिका
प्रक्षेपशलाका
३-१५९ पृच्छाविधिविशेष १३-२८० प्रकाशन
४-३२२ | प्रक्षेपसंक्षेप ५-२९४ पृच्छासूत्र १०-९प्रकीर्णक ४-१७४,२३४ प्रक्षेपोत्तरक्रम
६-१८२
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