Book Title: Shatkhandagama Pustak 16
Author(s): Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

View full book text
Previous | Next

Page 332
________________ धवलासहितसमग्रषटखंडागमस्य पारिभाषिक-शब्द-सूची (४४ ४.१८९/ मनुष्यपर्याप्त मनुष्यनी भोक्ता १-११९ मनज .१३-३९१ ८-९,१०-२०१३-२६ भोग ६-७८; १३-३८९ मनुष्य१.२०३,१३-:९२,३२७ भोगभूमि ४-२०९; ६-२४५ मनुष्य अपर्याप्त ८-१३० | महाकल्प १.९८; ९.१९१ भोगभूमिप्रतिभाग ४-१६८ मनुष्यगति १-२० ; ६-६७; | महातप महाबन्ध ९.१०५ भोगभूमिप्रतिभागद्वीप ४-२११ भोग भूमिसंस्थानसंस्थित मनुष्यगतिनाम १-३६७ महापुण्डरीक १.८; ९.१९१ | महामण्डलीक १.५८ महामत्स्यक्षेत्र मनुष्यगतिप्रायोग्यानपूर्वी भोगांतराय ६-७८; १३-३८९ ४.३६ महामत्स्यक्षेत्रस्थान ४-१७६, ६-७६; १३-३७७ १५-१४ ४.६६ मनुष्यभाव १४-११ महामह ८.९२ भंग ३-२०२,२०३४-३३६, मनष्यलोक १३-३०७ महावाचकक्षमाश्रमण ४११; ८-१७१; १०.२२५ १६.५७७ मनुष्यलोकप्रमाण ४-४२ १५-२३ महाराज भंगप्ररूपणा ४-४७५ मनुष्यायु ५-४९,८-११ महाराष्ट्र १३.२२२ भंगविधि मनुष्यायुष्क १३-३६२ १३-२८०,२८५ महाव्यय १३.५१ ८-१३० भंगविधि विशेष १३-२८०. ५.२७७,९.४१ मनोज्ञवैयावृत्य महाव्रत १३-६३ मनोद्रव्यवर्गणा ९-२८,६७ महाव्रती ८.२२५,२५६ क्रि मनोबली महाशुक्र मडंबविनाश १३-३३२,३३५, ४.२३५ ९-९८ मनोयोग १-२७९,३०८ महास्कन्धस्थान १४.४९५ महास्कन्धद्रव्यवर्गणा १४.११७ मति १३-२४४,३३२,३३३, ४-३९१; ७-७७; १०-४३७ महिमा ९.७५ मनोद्रव्य वर्गणा १४-६२,५५१. महोरग १३.३९१ मतिअज्ञानी ७-८४,८-२७९; ५५२ मागध १३.२२२ १३-४४ १४-२० मनःप्रयोग मागध प्रस्थ मन.प्रवीचार ४३२० मतिज्ञान १-३३९ १-३५४; ७-६६ मादा मनःपर्यय १४.३०,३२ मत्यज्ञान ११९४,३५८, १-३५४, ७-६६ १.३५०;६.४५, मधुरनाम १३-३७० ३६०; १३-२१२ मधुरनामकर्म . १२.२८३, १३.३४६ | मन:पर्ययज्ञान ६.७५ ६-२८,४८८. मानकषाय १.३४९ मधुस्रवी ४९२.४९५,१३-२१२.३२८ मानकषायी ७.८२ मध्यदीपक ९-४४; १०-४८, | मन.पर्ययज्ञानावरणीय ६-२९; मानदण्डक ८.२७५ ४९६,१२-१४ १३-२१३ मानस १३.३३२,३४० मध्यमगणकार ४-४१ मनःपर्ययज्ञानी ७८४,८.२९५ मानसिक १३.३४६,३५० मध्यमघन १०-१९० मनःपर्याप्ति १-२५५ मानसंज्वलन १३.३६० मध्यमत्रिभाग १४-५०२ | ममत्तीतःआत्तपुद्गल १६-५१५ मानाद्धा मध्यमप्रतिपत्ति ४-३४० मरण ४-४०९,४७०,४७१, मानी १.१२० मध्यमपद ९-६०,१९५; १३-३३२.३३३.३४१ / मानुष १३.३९१ १३-२६६ | मस्कारी १३-२८८ मानुषक्षेत्र ३.२५५,२५६; मध्यलोक ४-९ ' महाकर्मप्रकृतिप्राभूत ७-१,२, ४.१७० For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org मान Jain Education International

Loading...

Page Navigation
1 ... 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348