Book Title: Shatkhandagama Pustak 16
Author(s): Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 243
________________ ५४८ ) छक्खंडागमे संतकम्म जहण्णए पयदं- सव्वमंदाणुभागं लोहसंजलण । माया अणंतगुणा । माणो अणंतगुणो । कोधो अणंतगुणो। वीरियंतराइय० अणंतगुणो। सम्मत्त० अणंतगुणं । चक्खु० अणंतगुणं। सुदआवरण० अणंतगुणं । ( मदि० अणंतगुणं । ) अचक्खु० अणंतगुणं । ओहिणाण-ओहिदसणाव. अणंतगुणं । परिभोगंतराइय० अणंतगुणं । भोगंतराइय० अणंतगुणं । लाहंतराइय० अणंतगुणं । दाणंतराइय० अणंतगुणं । पुरिस० अणंतगुणं । इत्थि० अणंतगुणं । णवंस० अणंतगुणं । रदि० अणंतगुणं । हस्स० अणंतगुणं। अरदि० अणंतगुणं । दुगुंछ० अणंतगुणं । भय० अणंतगुणं । सोग० अणंतगुणं । केवल*णाणकेवलदसणाव. अणंतगुणं। पयला० अणंतगुणं । णिद्दा० अणंतगुणं । पयलापय० अणंतगुणं । णिहाणिद्दा० अणंतगुणं । थीणगिद्धि० अणंतगुणं। अण्णदरो पच्चक्खाणकसाओ अणंतगुणो। अण्णदरो अपच्च० कसाओ अणंतगुणं । सम्मामिच्छत्तं अणंतगुणं । अण्ण० अणंताणुबंधि०अणंतगुणं । संजलण० अणंतगुणं। मिच्छत्त० अणंतगुणं । ओरालिय० अणंतगुणं । वेउव्विय० अणंतगुणं । तिरिक्खाउ० अणंतगुणं । मणुस्साउ० अणंतगुणं । आहार० अणंतगुणं । तेजा० अणंतगुणं । कम्मइय० अणंतगुणं । तिरिक्खगइ० अणंतगुणं। णिरयगइ० अणंतगुणं। मणुसगइ० अणंतगुणं । देवगइ० अणंतगुणं। णीचागोद० अणंतगुणं । अजसकित्ति० अणंतगुणं । असाद० अगंतगुणं । उच्चागोद० अणंतगुणं । जसकित्ति अणंतगुणं । साद० अणंतगुणं । णिरयाउ० अणंत अब जघन्य अगुभागसत्कर्मदण्कक प्रकृत है सबसे मंद अनुभागवाला संज्वलन लोभ है । संज्वलन माया अनन्तगुणी है । संज्वलन मान अनन्तगुणा है। संज्वलन क्रोध अनन्तगुणा है । वीर्यान्तराय अनन्तगुणा है । सम्यक्त्व अनन्तगुणा है । चक्षुदर्शनावरण अनन्तगुणा है । श्रुतज्ञानावरण अनन्तगुणा है। ( मतिज्ञानावरण अनन्तगुणा है । ) अचक्षुदर्शनावरण अनन्तगुणा है । अवधिज्ञानावरण और अवधिदर्शनावरण अनन्तगुणे हैं। परिभोगान्त राय अनन्तगुणा है। भोगान्त राय अनन्तगुणा है। लाभान्तराय अनन्तगुणा है । दानान्तराय अनन्तगुणा है। पुरुषवेद अनन्तगुणाहै । स्त्रीवेद अनन्तगुणा है । नपुंसकवेद अनन्तगुणा है । रति अनन्तगुणी है । हास्य अनन्तगुणा है। अरति अनन्तगुणी है। जुगुप्सा अनन्तगुणी है। भय अनन्तगुणा है। शोक अनन्तगुणा है। केवलज्ञानावरण और केवलदर्शनावरण अनन्तगुणे हैं। प्रचला अनन्तगुणी है। निद्रा अनन्तगुणी है। प्रचलाप्रचला अनन्तगुणी है। निद्रानिद्रा अनन्तगुणी है। स्त्यानगृद्धि अनन्तगुणी है। अन्यतर प्रत्याख्यानावरण कषाय अनन्तगुणी है। अन्यतर अप्रत्याख्यानावरण कषाय अनन्तगुणी है। सम्यग्मिथ्यात्व अनन्तगुणी है । अन्यतर अनन्तानुबन्धी कषाय अनन्तगुणी है । संज्वलनचतुष्को अन्यतर अनन्तगुणा है। मिथ्यात्व अनन्तगुणा है। औदारिकशरीर अनन्तगुणा है । वैक्रियिकशरीर अनन्तगृणा है। तिर्यगायु अनन्तगुणी है। मनुष्यायु अनन्तगुणी है । आहारकशरीर अनन्तगुणा है । तैजसशरीर अनन्तगुणा है। कार्मणशरीर अनन्तगुणा है। तिर्यग्गति अनन्तगुणी है। नरकगति अनन्तगुणी है। मनुष्तगति अनन्तगुणी है। देवगति अनन्तगुणी है । नीचगोत्र अन्तगुणा है । अयशकीर्ति अनन्तगुणी है । असातावेदनीय अनन्तगुणा है। उच्चगोत्र * अप्रतौ ' सोग अणंतगणं अरदि अणंतगुणं केवल', ताप्रतौ ' सोग० (अरदि. )केवल ' इति पाठः। For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org.

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