Book Title: Shatkhandagama Pustak 16
Author(s): Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 296
________________ पारिभाषिक शब्द-सूची १७४ प्रकति गुणश्रेणि १०१ ५१२ ओ २७५ १० अवस्थित उदीरणा ५,१,१५७ | उपशान्त २७६ । अवस्थित संक्रम, ३९८ | उपशामना २७५ गुण अशुभ १७६ | उपशामकअध्यवसान ५७ णतप्रतिपन्न आ २९६ आकाश द्रव्य ३३ / एकस्थानिका १७४,५३९ गणश्रेणिनिर्जरा २९६ आगमभावलेश्या ४८५ गुणश्रेणिशीर्ष २९८,३३३ | एकस्थिति आदिवर्गणा ५३२ गुणसंक्रम ४०९ एकान्तअसात ४९८ आदिस्पर्धक ३७४,५३८ गणितकर्माशिक २९७ एकान्तभवप्रत्ययिक १७३ आदेशभव ४९८ गुणोपशामना | एकान्तसात २७५ आनुपूर्वीसंक्रम ग्रहणत: आत्त पुद्गल ५१५ आयुष्कघातक २८८ घ ओघभव ५१२ आर्यनन्दी ५७७,५७८ घातस्थान ४०७ आर्यमा ५१८,५७८ घातिसंज्ञा १७१,३७७,५३९ अवजित करण २५९, ५१९, करणोपशामना २७५ घोलमान जघन्य योग ४३५ कर्मउपक्रम ४१, ४२ ५७७ कर्म उपशामना आवासक चक्षुदर्शन कर्मनिबन्धन आहारतःआत्तपुद्गल ५१५ चतुर्दशपूर्वधर २४४ कर्मप्रक्रम चतुर्दशपूर्वी ५४१ कर्ममोक्ष उत्कीरणद्धा ५२० चतु:स्थानिक १४७ कर्मसंक्रम उत्तर निर्वर्तना १२ ४८६ कषाय उदयस्थान उत्तरप्रकृतिविपरिणामना२८३ कापोतलेश्या ४८४,४८८,४९१ उत्पाद जीवगुणहानिस्थानान्तर ३२८ कालउपक्रम उदय २८९ कालद्रव्य जीवद्रव्य उदयगोपुच्छ २५३ कालनिवन्धन जीवनिबद्ध ७,१४ उदयमार्गणा ५१९ कालप्रक्रम जीवविपाकी उदीरणा ४३ तदव्यतिरिक्त द्रव्यलेश्या ४८४ | कालसंक्रम ३३९,३४० उदीरणाउदय कृतकरणीय तीसिय २५३ ५३७ उदीरणामार्गणा ५१९ कृतकृत्य तेजोलेश्या ४८४,४८८,४९१ उद्वेलनकाण्डक ४७८ कृष्टि त्रिस्थानिक १७४ ५२१,५७९ उद्वेलनभागहार ४४८ | कृष्णलेश्या ४८४,४८८,४९० | उद्वेलनसंक्रम क्षपितकर्माशिक ३०८,३२१ | दर्शन उद्वेल्यमान प्रकृति ३८३ | क्षेत्र उपक्रम ४१ दानान्तराय उपक्रम ४१,४२ | क्षेत्रनिबद्ध ७,१४ दारुसमान ३७४,५३९ उपभोगत: आत्तपुद्गल ५१५ क्षेत्रनिबन्धन उपभोगान्तराय १४| क्षेत्रप्रक्रम | देशकरणोपशामना २७५ उपशमसम्यक्त्वगुणश्रेणि २९७ । क्षेत्रसंक्रम ३३९,३४० देशघाति १७१,३७४,५३९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org ३३७ चारित्र १२ mry 42RY ३०४ ४१६ दुःख १५

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