Book Title: Shatkhandagama Pustak 16
Author(s): Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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धवलासहितसमग्रषट्खंडागमस्य पारिभाषिक-शब्द-सूची
( १४
अनुसारी
अनुयोगसमास६-२४,१२-४८० ३८० ; ५-९;७-२६७, | अपरीत संसार ४-३३५ अनुलोमप्रदेशविन्यास १०-४४
२८७,२८९ | अपवर्तना ४-३८,४१,४३, अनुसमयापवर्तना १२-३२ अन्धकाकलेश्या ११-१९ ४७,१०३,२१६,२३० अनुसमयापवर्तनाघात १२-३१ | अन्यथानुपपत्ति ५-२२३ | अपवर्तनाघात ४-४६३, ७
९-५७,६० अन्ययोगव्यवच्छेद ११-२४५, २२९,१०.२३८,३३२; अनुसंचिताद्धा ४-३७६
३१८
१२-२१ अनजक
१३-३३०/ अन्योन्यगणकारशलाका अपवर्तनोद्वर्तनकरण ६-३६४ अनेक क्षेत्र १३-२९२,२९५
३.३३४ अपवादसूत्र
१०-४० अनेकस्थानसंस्थित १३-२९३ अन्योन्याभ्यस्त ४-१५९,१९६, | अपश्चिम
५-४४, ७४ अनेकान्त ६-११५;८-१४५
२०२ | अपहृत
३-४२ ९-१५९; १६-२५ | अन्योन्याभ्यस्तराशि १०-७९, | अपायविचय १३-७२ अनेकान्त असात १६-४९८
१२१ | अपिण्डप्रकृति १३-३६६ अनेकान्त सात १६-४९८| अन्योन्याभ्यास ३-२०,११५,
अपूर्व कृष्टि ६-३८५ अनेषण १३-५५
| अपूर्वकरण १-१८०,१८१, अनैकान्तिक ७-७३ अन्वय ७-१५; १०-१०
१८४,४-३३५,३५७, ६अन्तर ५-३, ६-२३१,२३२, | अन्वयमुख ६९५; १२-९८ |
२२० २२१,२४८,२५२; २९०, ८-६३, १३-९१; | अपकर्षण ४-३३२, ६-१४८, ८-४; १०-२८०,२८०
१६-३७९ १७१; १०-५३,३३० | अपूर्वकरण उपशामक ७-५ अन्तरकरण ६-२३१,३००, | अपकर्षणभागहार ६-२२४,
अपूर्वकरणकाल ७-१२ ७-८१८-५३
२२७
अपूर्वकरणक्षपक४-३३६, ७-५ अन्तरकाल
४-१७९ अपक्रमषट्कनियम ४-१७९ अन्तरकृत प्रथम समय ६-३२५ अपक्रमणोपक्रमण
अपूर्वकरणगुणस्थान ४-३५३ ४-२६५ |
अपूर्वकरणविशुद्धि ६-२१४ ३५८ अपगतवेदना ५-२२२|
अपूर्वस्पर्धक ६-३६५,४१५, अन्तरकृष्टि ६-३९०,३९१ अपगतवेद १-३४२ ; ७-८०;
१०-३२२,३२५; १३-८५; अन्तरघात ६-२३४ ८-२६५,२६६
१६-५२०,५७८ अंतरद्विचरमफालि ६-२९१ अपनयन (राशि) ३-४८;
स्पर्धकशलाका ६-३६८ अंतरद्विसमयकत६-३३५,४१०
४-२००; १०-७८ अपूर्वाद्धा
५-५४ अंतर प्रथम समयकृत ६-३०३ अपनयन ध्रुवराशि ४-२०१ | अपोहा
१३-२४२ ____३०४ | अपनेय
३-४९ अप्कायिक १-२७३७-७१, अंतरस्थिति ६-२३२,२३४ | अपर्याप्त १-२६७,४४४; ३
८-१९२ अन्तरामा
१-११७ १-१२०] ३३१४-९१६-६२,४१९: | अप्रणतिवाक् अन्तरानुगम ५-१७; १३-१३२
अप्रतिपात अप्रतिपद्यमानस्थान अन्तराय ६-१४;८-१० | अपराजित
-३८६
६-२७६,२७८ १३-२६,२०९,३८९ | अपर्याप्त नाम १३-३६३.३६५ अप्रतिपाति १३-२९२,२९५ अन्तराय कर्मप्रकृति १३-२०६ | अपर्याप्त निर्वृति १६-१८५ | | अप्रतिपाती
९.४१ अन्तरिक्ष ९-३७,७४ | अपर्याप्ति १-२५६,२५७ | अप्रतिहत १४.३२७
अन्तर्मुहूर्त ३-६७,७०, ४-३२४, अपरिवर्तमानपरिणाम १२-२७ । अप्रत्याख्यान६-४३; १३ ३६० Jain Education International For Private & Personal Use Only
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