Book Title: Shatkhandagama Pustak 16
Author(s): Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
View full book text
________________
धवलास हितसमग्रषट्खंडागमस्य पारिभाषिक-शब्द सूची
( २२
८.९२
उभय १३.६०
। एकावग्रह उभयसारी ९.६० | एक
१३.२३६ | एकासंख्यात ३.१२५ उभयान्त
एक-एकमलप्रकृतिबंध ८.२| एकेन्द्रिय १.२४८,२६४; उभयासंख्यात
३.१२५ एक क्षेत्र १३.६,२९२,२९५
७.६२,८.९ उराल १४.३२२,३२३ एकक्षेत्रस्पर्श १३.३,६,१६ एकेन्द्रियजाति ६.६७ उलुञ्चन १३.२०४
एकक्षेत्रावगाढ ४३२७ एकेन्द्रियजातिनाम १३.३६७ उश्वास
४.३९१
एकत्वविचारअविचार १३.७९ एकेन्द्रियलब्धि १४.२० उष्णनाम
१३.३७० | एकत्ववितर्कअविचार
१.९०,७.२९ उष्णनामकर्म ६.७५ | शुक्लध्यान
९.१८० उष्णस्पर्श १३.२४/एक दण्ड ४.२२६ एषण
१३.५५ एकनारकावासविष्कम्भ ऊर्ध्वकपाट १३.३७९
ऐन्द्रध्वज ऊर्ध्वकपाटच्छेदनकनिष्पन्न एकप्रत्यय ९.१५१ एरावत
४.४५ ४.१७६
एकप्रादेशिकपुद्गलऊवलोक ४.९,२५६ | द्रव्यवर्गणा १४.५४ | ओघ ४.९,१४४,३२२ ; ५.१, ऊर्ध्वलोकक्षेत्रफल ४.१६ एकप्रादेशिकवर्गणा
२४३; १४.२३७ ऊर्ध्वलोकप्रमाण ४.३२,४१, |
१४.१२१,१२२ ओघ उत्कृष्ट ११.१३
५१ | एकबन्धन १४.४६१ ओघजघन्य ११.१२ ऊर्ववृत्त ४.१७२ / एकविध ९.१५२; १३.२३७ | ओघनिर्देश ३.१,९; ४.१४५ ऊहा १३.२४२ | एकविध अवग्रह ६.२०
३२२ ऋ
|एकविंशतिप्रकृति उदयस्थान | ओघप्ररूपणा ४.२५९ १३.३३० ____७.३२ ओघभव
१६.५१२ ऋजुगति ४.२६,२९,८० | एकस्थान
११.३१३ ओज
३.२४९ ऋजुमति ४.२८; ९.६२ | एकस्थानदण्डक ८.२७४ ओज
१०.१९ ऋजुमतिमनःपर्ययज्ञाना- एकस्थानिक ८.२४९ / ओम
१०.१९ वरणीय १३.३२८,३२९,३४० एकस्थानिका १५.१७४; | ओवेल्लिम ९.२७२,२७३ ऋजुवलन ४.१८०
१६.५३९ ऋजुसूत्र ९.१७२,२४४; | एकस्थिति १५.१०१ | औत्पत्तिकी
९.८२ १३.६,३९,४०,१९९| एकानन्त
३.१६ | औदयिक १.१६१; ७.९,३००; ऋजुसूत्रनय
७.२९ एकान्त असात १६.४९८
९.४२८; १२.९७९ ऋण
१०.१५२ | एकान्तभवप्रत्ययिक १५.१७३ | औदयिकभाव ५.१८५,१९४ ऋतु ४.३१७,३९५; | एकान्तसात १६.४९८ | औदारिक १४.३२३
१३.२९८,३०० एकान्त मिथ्यात्व ८.२० | औदारिकऔदारिकऋद्धि १३.३४६,३४८; एकान्तानुवृद्धि ६.२७३,२७४ | शरीरबन्ध १४.४२ १४.३२५ | एकान्तानुवृद्धियोग १०.५४ | औदारिककाययोग १.२८९
४२०॥
ऋजुक
औ
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348