Book Title: Shatkhandagama Pustak 16
Author(s): Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 317
________________ २९ ) चैतन्य चैत्यवृक्ष छ छद्मस्थ १-१८८, १९०; ७-५ जघन्य बन्ध ९- १२० १३- ४७ छवि १४-४०१ छह द्रव्य प्रक्षिप्त राशि ३ १९, छद्मस्थकाल छद्मस्थवीतराग छिन्न छिन्नस्वप्न छिन्नाछिन्न छिन्नायुककाल १-१४५ जघन्यपदस्वामित्व ९- ११० जधन्यपरीतानन्त जघन्यपरीतासंख्य २६,१२९ ९-७२,७३; १२-१६२ Jain Education International परिशिष्ट जघन्य योगस्थान जघन्य वर्गणा जघन्य स्थान जघन्य स्थिति जघन्य स्थितिबंध ९-७४ जघन्य स्पर्द्धक २१४; ११-१२५; १२-१०२ जन्तु छेदराशि छेदोपस्थापक छेदोपस्थापनशुद्धि संयम १३-२२५ १३-३१४ छेद १३-३०३ | ज्योतिष्क जीवराशि ४ १५५ १३- ३३५ ज्योतिष्कसासादनसम्य छेदगुणकार ११-१२८ | जनपद छेदना १४-४३५, ४३६ | जनपदविनाश १३-३३५, ३४१ दृष्टिस्वस्थानक्षेत्र ४- १५० छेदभागहार १०-६६,७२, जनपदसत्य १०- १५१ | जम्बूद्वीप १-३७२ १२- १६२ जघन्यावगाहना ४- १६३ | जघन्यावधि १३-३२५, ३२७ ज्योतिष्क १३-६१; १४-४०१ जघन्यावधिक्षेत्र १०-३१ | जातिविद्या ९-७७ ३- २१ जातिस्मरण ३-१५७; ६-४३३ १०-८५ जित ९-२६२,२६८; १३-२०३; १४-८ ६-२४६, ९ - २,१० | जम्बूद्वीपक्षेत्र १- ३७० जम्बूद्वीपच्छेदनक जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति ज जगप्रतर ३- १३२,१४२; ४-१८,५२,१५०,१५१,१५५. जम्बूद्वीपशलाका १६९,१८०,१८४,१९९,२०२, जयन्त २०९,२३३; ७-३७२ जया जगश्रेणी ३ - १३५,१४२,१७७; जलगता जलजर ४- १०, १८, १८४ ; ७-३७२ जघन्य १३-३०१,३३८; जघन्य अनन्तानन्त ३-११ जघन्य उत्कृष्टपद १४- ३९२ जघन्य कृष्टिअन्तर ६-३७६ जघन्यद्रव्य वेदना १२-९८ जघन्यपद १४-३९२ जघन्य पदअल्पबहुत्व १०-१८५ जघन्यपदमीमांसा १४-३९७ जातिनाम ११-३३९ १०-४६३ जिन ६. १०१ | जिनपूजा १२-९८ | जिनवृषभ ६-१८० ; | जिह् वेन्द्रिय ४ ३९१७ ६४ ११- ३५० जिह्वेंद्रियअर्थावग्रह १३-२२८ ११- ३३९ जिह् वेन्द्रिय ईहा १३-२३१ ६-२१३ जिह् वेन्द्रिय व्यञ्जनावग्रह ४-२२, ३३: १-११८ | ज्योतिष्कस्वस्थानक्षेत्र ४-१६० १- १२० ज्योतिषी ८-१४६ ३ -१; ४- १५० जीव १-११९, १३-८, ४० १३-३०७ | जीवगुणहानि १०-१०६ ४- १९४ | जीवगुणहानिस्थानान्तर ४-१५५ १०-९८; १५-३२८ १४-१३ १ - ११० ; जीवत्व जीवद्रव्य ३-२; १३-८३; ९ - २०६ ४-१९६ १५-३३ ४- ३८६ जीवनिबद्ध ४- ३१९ | जीवपुद् गलबन्ध ९-७९ | जीवपुद्गल मोक्ष ११- ९०,११५; | जीवपुद्गलयति १३ - ३९१ जीवप्रदेशसंज्ञा जलचारण जल्लोषधिप्राप्त जहत्स्वार्थवृत्ति जाति ९-७९ जीवभाव ९-९६ जीवभावबन्ध जीवमोक्ष ९-१६० १-१७; ३-२५० जीवयवमध्य ४-१६३; ६-५१ १०-१८९ १३-३७ १३-३६३,३६७ | जीक्युति For Private & Personal Use Only १५-७,१४ १३-३४७ १३-३४८ १३-३४८ १३- ४३९ १४- १३ १४-९ १३-३४८; १०-६०; १२-२१२ १३-३४८ www.jainelibrary.org

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