Book Title: Shatkhandagama Pustak 16
Author(s): Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 299
________________ अग्र षट्खंडागम सूत्र व धवला टीकाके सोलहों भागोंको सम्मिलित पारिभाषिक शब्द-सूची सूचना- प्रारंभके अंक पुस्तक (भाग) के तथा आगेके अंक उसी भागके पृष्ठोंके सूचक हैं । अ अगति ७.६; ८.८ | अचित्तद्रव्यभाव १२.२ अकरणोपशामना १५.२७५ | अगुणप्रतिपन्न १६.१७४,२८८ | अचित्तद्रव्यवेदना १०.७ अकर्मभाव ४.३२७ / अगुणोपशामना १६.२७५ | अचित्तद्रव्यस्पर्शन ४.१४३ अकर्मभूमि ११.८९ | अगुरुलघु ६.५८; ८१.०, अचित्तनोकर्मद्रव्यबन्धक ७.४ अकषाय १.३५१ १३.३६३,३६४] अचित्त प्रक्रम १६.१५ अकषायत्व ५.२२३ | अगृहीतग्रहणद्धा ४.३२७,३२९ | अचित्त मंगल १.२८ अकषायी ७.८३ | अग्निकायिक . १२.२०८ | अच्युत १३.३१८ अकायिक १.३६६ १४.३६७ | अच्युतकल्प ४.१६५,१५०, अकृतयुग्मजगप्रतर ४.१८५ अग्रस्थिति १०.११६ २०८,२३६,२६२; अकृत्रिम ४.११,४७६ | अग्रस्थितिप्राप्त १०.११३,। १३.३१८ अक्ष १३.९,१०,४१,१४.६ | अजीव १३.८,४०,२०० अक्षपकानपशामक ७.५ अग्रास्थातावशष अग्रस्थितिविशेष १४ १४.३६७] अजीवद्रव्य ३.२ अक्षपरावर्त ७.३६ अग्रहणद्रव्यवर्गणा १४.५९, अजीवभावसम्बन्ध १४.२२ अक्षपाद १३.२८८ ६०,६२,६३,५४८ २३, २५ अक्षयराशि ४.३३९ अग्रायणीपूर्व ९.१३४,२१२] अज्ञान १.३६३,३६४ ; ४.- . अक्षर १३.२४७,२६०,२६२ | | अग्रायणीय १.११५ ४७६; १४.१२ अक्षरगता १३.२२१ | अग्र्य १३.२८०,२८८ | अज्ञान मिथ्यात्व ८.२० अक्षरज्ञान १३.२६४| अघातायुष्क ९.८९ अज्ञानिक दृष्टि ९.२०३ अक्षरवृद्धि ६.२२ | अघाति १६.१७१,३७४ | अणिमा ९.७५ अक्षरश्रुत ६.२२ | अघातिकर्म ७.६२ | अणुव्रत ४.६७८ अक्षरश्रुतज्ञान १३.२६५ | अघोरगुणब्रह्मचारी ९.६४ | अतिचार ८.८२ अक्षरमास ६.२३; १२.४७९ | अचक्षुर्शदन १.३८२; ६.३३, | अतिप्रसंग ४.२३,२०८;५.अक्षरसमासश्रुतज्ञान १३.२६५ ७.१०१,१०३; १३.- २०६,२०९; ६.९०, ७.६९, अक्षरसमासावरणीय १३.२६१ ३५५; १६.९ ७५,७६; ९.६,५९,९३; अक्षरसंयोग १३.२४७,२४० अचक्षुदर्शनस्थिति ५.१३७, .१२.१४२ अक्षरावरणीय १३.२६७ १३८ | अतिवृष्टि १३.३३२,३३६, अक्षिप्र ९.१५२ अचक्षुदर्शनावरणीय६.३१,३३ ३४१ अक्षिप्र अवग्रह ६.२०/ अचक्षुदर्शनी ७.९८; ८.३१८; | अतिस्थापना ६.२२५,२२६, अक्षिण प्रत्यय १३.२३७ . १३.३५४ २२८; १०.५३,११०; अक्षीण महानस ९.१०१ | अचित्तकाल १०.७६ १६.३४७,३७५ अक्षीणावास | अचित्तगुणयोग ९.४३३ / अतिस्थापनावली ६-२५०, अक्षेम' १३.२३२,२३६,२४१ | अचित्ततद्व्यतिरिक्तद्रव्यान्तर ३०९, १०-२८१,३२०, अक्षौहिणी १२-८५ Jain Education International www.jainelibrary.org For Private & Personal Use Only

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