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अप्पाबहुअणुयोगद्दारे उत्तरपयडिसतकम्म दडओ
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अरदि० विसे० । णवंस० विसे० । दुगंछ० विसे० । भय० विसे० । माणसंजल० विसे० । कोह० विसे० । माया० विसे० । लोह० विसे० । दाणंतराइए विमे० । लाहंत० विसे० । भोगंत० विसे० । परिभोगंत० विसे० । विरियंतरा विसे० । मणपज्जव० विसे० । ओहिणाण. विसे० । सुद० विसे० । मदि० विसे० । ओहिदंस० विसे० । अचक्खु० विसे० । चक्ख० विसे० । असादे संखेज्जगुणं । णीचागोदे जहण्णयं पदेससंतकम्मं विसेसाहियं । एवमेइंदियदंडओ समत्तो।
एवं चउवीसदिमअणयोगहारं समत्तं ।
अधिक है । नपुंसकवेदमें विशेष अधिक है। जुगुप्सामें विशेष अधिक है । भयमें विशेष अधिक है। संज्वलन मान में विशेष अधिक है । संज्वलन क्रोध में विशेष अधिक है। संज्वलन मायामें विशेष अधिक है। संज्वलन लोभ में विशेष अधिक है । दानान्तरायम विशेष अधिक है। लाभान्तरायमें विशेष अधिक है। भोगान्तराय में विशेष अधिक है । परिभोगान्त राय में विशेष अधिक है । वीर्यान्तरायमें विशेष अधिक है । मन:पर्ययज्ञानावरणमें विशेष अधिक है । अवधिज्ञानावरणमें विशेष अधिक है । श्रुतज्ञानावरण में विशेष अधिक है। मतिज्ञानावरणमें विशेष अधिक है । अवधिदर्शनावरणमें विशेष अधिक है । अचक्षुदर्शनावरणमें विशेष अधिक है । चक्षुदर्शनावरण में विशेष अधिक है । असातावेदनीयमें संख्यातगुणा है । नीचगोत्रमें जघन्य प्रदेशसत्कर्म बिशेष अधिक है। इस प्रकार एकेन्द्रियदण्डक समाप्त हुआ।
इस प्रकार चौबीसवाँ अनुयोगद्वार समाप्त हुआ।
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