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संख्या १]
अन्तिम वाक्य
का भावार्थ यह है---"उनके लिए अाह है जो मुझसे प्रेम कार्य का प्रभाव कैथलिक-सम्प्रदाय के लोगों पर बहुत बुरा करते हैं और उनके लिए उपहासजनक मुस्कराहट है जो पड़ा था। इस घटना के दो वर्ष के अन्दर ही इनकी मृत्यु मुझसे नफ़रत करते हैं। चाहे जिस देश में मैं रहूँ, यह हो गई थी। इन्होंने मरने के समय कहा था- “दाई ! हृदय हर एक भवितव्यता के लिए तैयार है ।" वे इंग्लेंड दाई ! कैसे कैसे वध मैंने करवाये हैं, कितना कितना को फिर जिन्दा नहीं लौटे । तुर्की के ख़िलाफ़ वे ग्रीस के खून बहाया है। मैंने अपराध किया है। क्षमा करो, पक्ष में थे। उनकी इच्छा युद्धस्थल में लड़ते हुए मरने ईश्वर ।" कैसे पश्चात्ताप-पूर्ण शब्द हैं। की थी, परन्तु ऐसा नहीं हुआ । उनकी 'चाइल्ड हेराल्ड' कापर नीकस (निकोलस) १४७३-१५४३–ये नाम की कविता बहुत प्रसिद्ध है । यह २० फ़रवरी १८१२ खगोल-विद्या के बहुत बड़े विद्वान् थे । योरपीय लोग इन्हें को प्रकाशित हुई थी और मार्च के अन्त तक इसके सात इस विद्या का संस्थापक मानते हैं । उन्हीं लोगों की यह राय संस्करण निकल गये थे । उनका अन्तिम वाक्य यह है कि इन्होंने इस बात का पता लगाया था कि सूर्य ही इस था--"मैं ख़याल करता हूँ, मैं अब सेा जाऊँ।" ऐसे विश्व का केन्द्र है। इन्होंने बहुत-सी पुस्तकें लिखी हैं । अशान्तिमय जीवन के बाद ऐसे ही वाक्य का मुँह से देहावसान के समय यह वाक्य इनके मुँह से निकला थानिकलना स्वाभाविक था।
"अब, हे ईश्वर, अपने सेवक को कष्टों से मुक्त कर।" चार्ल्स (द्वितीय) १६३०-१६८५-ये 'प्रजापीड़क, तकलीफ़ में लोग उसी को पुकारते हैं जिससे कुछ अाशा विश्वासघाती, और घातक' चार्ल्स (प्रथम) के पुत्र थे । इनके होती है, और यह वाक्य आशा का एक सुन्दर नमूना है । पिता को कामवेल की आज्ञा से प्राण-दण्ड दिया गया ऊन्मर (टामस) १४८९-१५५६-ये केन्टरबरो के था। इंग्लैंड के इतिहास में इनसे अधिक बुरी हुकुमत बड़े पादरी थे। इनके विचारों में उदारता नहीं थी। जो
और किसी राजा की नहीं हुई है । इनकी दूसरी विशेषता राय होती थी, बस उसी को ठीक समझते थे। जिनके यह थी कि शायद वहाँ के और किसी बादशाह के इतनी विचार इनके विचारों से नहीं मिलते थे उनके ये दुश्मन रखेलियाँ नहीं थीं। इन्हीं के समय में लन्दन में प्लेग का हो जाते थे। धार्मिक सहनशीलता इनमें नाम को भी नहीं प्रकोप हुअा था और बहुत बड़ी आग भी लगी थी। मरने थी। कहा जाता है कि बहुतों को जिन्दा जलवा देने में भी के थोड़ी देर पहले इन्होंने कहा था-"देखना, बेचारी इनका हाथ था। उस समय पादरियों के बहुत अधिकार वेली (आपकी एक प्रेमिका) भूखों न मरे ।" इनका थे। हेनरी (अष्टम) का ज़माना था, जो इन पर बहुत
आखिरी वाक्य यह था--"मुझे खेद है कि मरने में मैं कृपा करता था। ये धीरे धीरे 'प्रोटेस्टेंट-सम्प्रदाय' की देर लगा रहा हूँ ।" वह वाक्य उन दरबारियों से कहा था तरफ़ झुक रहे थे, लेकिन हेनरी के देहान्त के बाद इनके जो इनकी मत्युशय्या के पास खड़े थे। कहने का मतलब पैर उखड़ गये और अपने धर्मशास्त्र के विरुद्ध सेमूर के यह था कि आप लोगों को बेकार खड़े खड़े कष्ट हो रहा प्राणदण्ड के आज्ञापत्र पर हस्ताक्षर कर दिया । बिशप है। शून्य हृदय के शून्य शब्द हैं !
वोनर, गाडिनर और डे का पदच्युत करने और कारावास ___चाल्स नवम (फ्रांस) १५५०-१५७४- इनमें शारी- का दण्ड देने में ये सहमत थे। बाद को इन पर झूठी रिक बल की कमी नहीं थी और न कमी बहादुरी की थी। कसम खाने का अभियोग लगाया गया। रोम के बड़े ये साहित्य के भी अच्छे जानकार थे। इन सब गुणों के पादरी के कमिश्नर की अदालत में इनका मुकद्दमा पेश होते हुए भी ये बड़े चालाक थे, विचारों में न स्थिरता हुअा। इनका यह कहना था कि यह मुकद्दमा कमिश्नर थी, न दृढ़ता थी, और सर्वोपरि यह अवगुण था कि नहीं कर सकता। दूसरा अभियोग राजद्रोह का था, जिसे इनका हृदय दया-शून्य था। ये अपनी मा के हाथों के इन्होंने स्वीकार कर लिया और इनको प्राणदण्ड कठपुतली थे। वह जो नाच नचाती थी वही नाचते थे। दिया गया। इन्होंने यह इच्छा प्रकट की थी कि ये अपनी माता के आदेशानुसार इन्होंने सेन्ट बार्थोलोम्यू को जलाये जायँ । जब लकड़ियों में : वध किये जाने की आज्ञा दी थी। इस दुष्ट और पापपूर्ण इन्होंने अपने दाहने हाथ को आग में बढ़ा दिया और
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