Book Title: Sankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 01
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 12
________________ [११] इका० अथवा एका०-इपीप्रेफिया कर्नाटिका ( बंगलोर ) । इंए • = इंडियन एन्टीकेरी ( बम्बई ) । उद०='उवासगदसामो सुत्त०' - डॉ० हाणके (Biblo Indica). उपु०६०४. पु. = ' उत्तरपुराण' श्री गुणमद्राचार्य व पं. काळारामजी । उसू० = ' उत्तराध्ययन सूत्र' ( श्वेताम्बरीय आगम ग्रन्थ ) बार्ल कार्पेटियर ( उपसा ) | एइ० = 'एपिप्रेफिया इंडिका' । e= एइमे• या मेएइ० = एन्शियेन्ट इन्डिया एजडिस्क्राइब्ड माई 'मेगस्थनीज एण्ड ऐरियन' - ( १८७७ ) । एड्ने० एन इपीटोम ऑफ जैनीज्म-श्री पूर्णचन्द्र नाहर एम०ए० । एमिक्षट्रा ० = ' एन्शियेन्ट मिड इंडियन क्षत्रिय ट्राइन्स ' डॉ० विमलचरण लॉ (कलकत्ता ) । एइ० = एन्शियेन्ट इंडिया एनडिस्काइन्ड बाई स्ट्रैबो मेक किंडल ( १८०१ ) । ऐरि०= ऐशियाटिक रिसर्चेन- सर विलियम जोन्स (सन् १७९९ व १९०९ ) । कजाइ० = कनिंघम, जागरफी ऑफ एंशियेन्ट इंडिया - (कलकत्ता १९२४ ) । , कलि०='ए हिस्ट्री ऑफ कनारीन लिट्रेचर ' ई० पी० राइस (H. L. S. 1921 ). कसू० =कल्पसूत्र मूळ ( श्वेतांबरी आगम ग्रन्थ ) । काले ० = कार माइकल लेक्र्स डॉ० डी० बार• भाण्डारकार - कैहिए• = कैम्ब्रिज हिस्ट्री ऑफ इंडिया ऐन्शिपेन्ट इंडिया, भा०१- सा० (१९२२ ) । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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