Book Title: Samudrik Shastram
Author(s): Mansukhlal Hiralal
Publisher: Hiralal Hansraj Shravak

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Page 10
________________ (1) मूलाच । रेखा गबति तर्जनीं ॥ अविजिन्नानि वर्षाणि । शतमायुर्विनिर्दिशेत ॥ १७ ॥ कनिटांगुलिदेशाच्च । रेखा गबति मध्यमां ॥ अ. विजिन्नानि वर्षाणि । षष्टिमायुर्विनिर्दिशेत् ।। ॥ १७ ॥ रेखानिर्बहुन्निः क्वेशं । स्वल्पाभिर्धनहीनता। रेखाचतुष्टये सौख्यं । बहुरेखा दरिद्रता ॥ १७ ॥ अंगुष्टोदरमध्यस्थो । यवो यस्य वि. जती होय तो पूरेपूरा एकसो वर्षनुं आयुष्य होय . ॥ १७ ॥ टचली यांगळीना एक भा. गमांथी जो वचली यांगळीसुधी रेखा जती होय तो पुरां साठ वर्षनुं आयुष्य होय . ॥ १७ ।। बहु रेखाथी क्लेश, थोळी रेखाथी धनहीनता, चार रेखाथी सुख, धने घणी रेखाथी दरिडता थाय . ॥ १५ ॥ चंगुगः ना मध्यमां जेने जब होय , ते मनुष्य क. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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