Book Title: Samudrik Shastram
Author(s): Mansukhlal Hiralal
Publisher: Hiralal Hansraj Shravak
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( ए) नवंतश्च । व्याघादा प्रकोपिनः ।। कुर्कुन: दाः सदारिद्या। मृगकाः मुखिसस्तया॥ बिडालहमनेवाश्च । भवंति पुरुसायमाः ॥ म. युरनकुन्नादाश्च । ते मो मध्यमाः स्मृताः ॥ ॥ १० ॥ इति वसुन कणं । इवकर्णः सदा भोगी। दोर्घकर्णश्व मध्यमः ।। रोमकर्ण म. नुष्याश्च । मर्व ते सुग्वभोगिमः ॥ ११ ॥ इ. जण. कूफमा नेवी नांवाना रोव, अते ह. रिणजेवी अांखाला सुवो होय . ॥ ए॥ बिलाडी अने हंसजेवी आंखगता अषम हो. य, धने मोर तया नाळ यांजेवी यांखा. सा मध्यम पुरुष होय . ॥ १०॥ एवीरीते यांखनां लक्षण कयां . ॥ टुंका कानवालो हमेशां भोगी, लांग कानबातो साधारण, थने रोमसहित कर्णवालो सुख भोगवनार
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