Book Title: Samudrik Shastram
Author(s): Mansukhlal Hiralal
Publisher: Hiralal Hansraj Shravak

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Page 68
________________ (६५) ॥२॥ यायतौ श्रवणो यस्याः । समौ च सुकुमारको । जुवो चंद्रायुधाकारौ। सा कन्या सुखनागिनी ॥ ३ ॥ यथावर्तलक्षणं-क. ट्यावर्ते वरा नारी । नान्यावर्ते मृतात्मजा ॥ पृष्ठावर्ता पतिघ्री स्या-त्तस्मादेतां विवर्जयेत् ॥४॥ पृष्टवामे तथावर्तो । यस्या भवति नि. जे स्त्रीना कान लांचा सीधा अने सुकुमार होय, तथा जेनी जमर चंडायुधजेवी होय ते मन्या सुखी थाय . ॥७३॥ हवे यावर्तना उदाण कहे -जे स्त्रीनी केम्पर यावर्त होय ते सारी, नान्निार यावर्तवाळी मरेला गोकरांने जन्म अापनारी, अने पीउपर था. वर्तवाली पतिने मारनारी थाय , तेथी तेने यजी देवी. ॥ ४ ॥ जे स्त्रीने माबे पमखे यावर्त होय ते घणा पुस्खो साथे रमनारी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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