Book Title: Samudrik Shastram
Author(s): Mansukhlal Hiralal
Publisher: Hiralal Hansraj Shravak

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Page 81
________________ (90) न्नूनं । देवरं श्वशुरं पति ॥ ११ ॥ लंबोदरी स्थूलशिरा । रक्तादी पिंगलोचना ॥ पतिनो. पार्जितं द्रव्य-मन्येन सह भदते ॥ १ ॥ नदीनाम्नी च या नारी। फल नाम्नी च या न. वेत ॥ देवीनानी जवेन्नित्यं । नैव सौख्यार्थ कारिणी ॥ १३॥ तीर्थनानी च या नारी। त. न्मुखं न विलोकयेत् ।। बहराणि या नारी। दीयरने श्वशुरने अने पतिने भदाण करनारी थाय . ॥ ११ ॥ दीर्घ उदर जाडा केश त. था राती बने पीळी अांखवाळी स्त्री पोताना पतिए नपार्जित करेवू द्रव्य बीजासाथे मली खाय . ॥ १२ ॥ जे स्त्री- नाम नदी फल अथवा देवीना नामपर होय ते सुख प्राप. नारी थती नथी. ॥ १३ ॥ जेनुं नाम तीर्थना नामपर होय तेनुं मुख जोवु नहि, तथा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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