Book Title: Samudrik Shastram
Author(s): Mansukhlal Hiralal
Publisher: Hiralal Hansraj Shravak
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(५७) सुः सुशोभना ॥ ६ ॥ विषमा दशना यस्या । विरला ॐःखित व मा ॥ स्थूवावेशमवामोति । लघुश्वतममाः शुत्राः ॥ ६५ ॥ उनि देनलक्षणं ॥ प्राएलकणं-सरोमो चाति. लंबा च । यस्या उष्टपुटी स्त्रियः ॥ विषमा चातिस्थूलो सा। पनिघ्न वनिता भवेत् ॥६॥ यस्या नष्टयं रक्तं । विगेमं च समं पुनः ।। होय. ॥ ६४ ॥ जे दांत विषम अने बुटा बुटा होय ते दुवी यार . जामा दां. तवाळा दुःख पामे, अने नाना घोळा नथा सोश दांत वखरा . ॥ ६५ ॥ एवीरीते दांतनां लक्षण कह्यां . ॥ हवे होठमां ख. क्षण कहे -ने स्त्रीना होठ वाळशळा य. तिलांजां विषम बने अतिजामा होय त स्त्री पतिनो नाश करना थाय . ॥ ६६ ॥ जे
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