Book Title: Samudrik Shastram
Author(s): Mansukhlal Hiralal
Publisher: Hiralal Hansraj Shravak

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Page 36
________________ (३) व्याघगजेंद्राणां । कपोलौ सदृशौ यदि ।। सु. खी जोगी नवेन्नित्यं । बहुपुत्रश्च जायते ।। ॥२॥ रक्ताघरो नृपतिः स्या-क्रोष्टः ख. सु दुःखितः ।। स्थूवान्यामधरान्यां च । नरा अयं दुखिताः ॥७३॥ श्योष्टलदणं ।। क. दंबपुष्पसंकाश-दंतकैर्जुपतिः स्मृतः ॥ रदो. जोगी तथा सर्वविद्यासंपन्न थाय . ॥ १ ॥ जेना गाल सिंह व्याघ अथवा हाथीजेवा हो. य ते मनुष्य हमेशां सुखी जोगी तथा बहु पुत्रवाळो थाय . ।। ए॥ लाल होठवाळो राजा, वांका होठवाळो दुःखी बने जेना बन्ने हो जामा होय ते घणो दुःखी होय . ॥ ०३ ॥ एवीरीते होउनां लदाण कहां में. कदंबनां पुष्पसरखा दांतवाो राजा थाय में, थने सदस अथवा वानरजेवा दांतवाळा हा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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