Book Title: Samudrik Shastram Author(s): Mansukhlal Hiralal Publisher: Hiralal Hansraj Shravak View full book textPage 9
________________ न शय्या च । पादस्नेहेन वाहनं ॥ १४ ॥ य. कर्मकठिनौ हस्तौ । पादावध्वनी कोमलौ ॥ य. घा पादौ तथा हस्तौ । तस्य राज्यं विनिर्दिशे. त ॥ १५ ॥ दीर्घलिंगेन दारिद्र्य । स्थूललिंगेन दुःखितः ॥ कृशलिंगेन सौजाग्यं । इस्वालिं गेन नृपतिः ॥ १६ ॥ अथायुर्खदणं निगद्यते-कनिष्टांगुलिथी वाहन मले . ॥ १४ ॥ मृउ हस्त तथा ध्वनी विनाना कोमळ पग ए बन्ने अर्थात् के जेवा हाथ तेवा पग होय तो तेने राज्य म. के . ॥ १५ ॥ दीर्घ लिंगथी दारिद्य, स्थूल लिंगथी दुःख, पातळां लिंगथी सौभाग्य, ध. ने टुंकां लिंगथी राजा थाय. ॥ १६ ॥ हवे घायुष्यनुं लक्षण कहे जे-टचली थां. गळीनां मुळ्थी जो चोथी यांगळीसुधी रेखा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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