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रमेश घेटाई समाजविचारनी जे कोई समस्याओ मनु चर्चे छे तेमां आ धर्म अने नीतिनो पायो स्वीकारीने ज ते चाले छे । मानव पशुथी जुदो छे; महाभारत कहे छ के "जगतमां मनुष्य करतां उच्चतर बोजु कई नथ,"" अने शंकराचार्य कहे छे के "जीवने माटे मनुष्यजन्म दुर्लभ छ ।"' जीवने जे मा दुर्लभ मनुष्य जन्म सांपडे छे तेमां मानवी स्वाभाविक रोते ज पशुओथी जुदो पडे छ । आम तेने जुदो पाडवामां मुख्य तत्त्वो तेनो दृष्टिए धर्म अने नीति ज छ । अने तेथी ज तेना समाजशास्रनो आ पायो छे। नोंधपात्र ए छे के मनु तेना आ प्रथमां प्रवर्तमान सामाजिक प्रथाओ, रीतिनोतिने, रिवाजोने प्रमाणित करे छे त्यारे पण ते केटलोकवार तेनाथो जुदो पडे छे। त्यां पण आ न दृष्टि काम करतो देवाय छ । दाम्व का तरीके, अनुलोम विवाहोर्नु वर्णन करतां ते कहे छे के क्रममा ब्राह्मणने चार पन्नोओ समवे (३.१३), परन्तु साये तरत ज ते उमेरे छे के :
आरोपी शयने शूदा विप्र पामे अधोगति;
तेनामा पुत्र जन्मावी ब्राह्मणत्व गुमावतो। (३.१७)" आ ज रीत नियोगज पुत्रना पुत्र तरीके स्वीकार करवा छतां नियोगसंबंधने भारे अनीतिमय भने पशुत्वरूप गणी तेनी सामेना पोतानो विरोध स्पष्ट शब्दोमां प्रगट करे छे :
द्विजोए विधवा नारी अन्ये ना ज नियोजवी;
अन्ये नियुक्त करतां धर्म शाश्वत नाशता. (९.६४) विद्वान ब्राह्मणोए सौ निधो छे पशुधर्म मा,
राज्यकाळे धेनकेरा मनुष्योमा कह्यो छतो. (९६६) कारण,
ज्येष्ठ भ्राता तणी भार्या नानाने गुरुपत्नी शी,
लघु भ्राता तणी भार्या ज्येष्ठनी पुत्री ए खरे ! (९.५७) (२) वास्तववाद अने आदर्शवाद
मनुना समाजविचारनु बीजु लक्षणए छे के ते एक बाजु व्यवहारदक्ष वास्तववादी-pratical realist छे. तो वोजी बाजु ते आदर्शवादो idealist-छे. समाजना सामान्य भने असामान्य कक्षाना सौ सभ्योनो, एटले के समग्र समाजनो आमा अन्तर्भाव छ । छतां समाजनी गति मने प्रगति-mobility भने progressअवलंबे छे असामान्यो उपर, माने लीधे न ते वास्तवदर्शी होवा छता भने प्रवर्तमान समाजनो वास्तविकताने स्वीकारवा छतां पातानो समाजजीवननो मादर्श पण