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कनुभाई शेठ व रखो जीईए. केटलीक वार आ तथ्यो एवी प्रतीतिकर प्रमाणरूप सामग्री एकठी कर आपे छे के चर्चायेलु कथा-सूत्र मूळ कथामा उपस्थित होवा अंगे भाग्ये ज शंका रहे. वळो कथाना अभ्यासके आ उपरान्त प्राप्त थती अन्य आधार-सामग्रो [datal पर पण परतु लक्ष आपq जोईए केमक अभ्यासको रस मात्र कथा के कथामूत्रना मूळरूपना निर्देश पूरतो मर्यादित न थतां कथा के कथा-सूत्रना समग्र विकास- हास परत्वे केन्द्रित होवो जोईए.
___प्रमाणे प्रत्येक पथा अंगे एकठो थयेली आधार-सामग्रीनो विवेकपर्वक. विनियोग करी प्रत्येक कथा-सूत्रना इतिहाम-निरूपणमां, एना प्रचारप्रसारना विस्तारनां सीमा-मर्यादा, एनां प्राप्त रूपान्तरोनो समयानुक्रम इत्यादि अंगे काळ नीभर्या निर्णयो तारववा जोईए. अमुक कथा-सूत्र कथाना मूलरूपमा उपस्थिन छे के नहि ते अगेनो निर्णय करवा अंगेनो केटलीक ध्यान आपवा जेवो यावतोनी छणावर लोककथाविद् एन्टी मार्नेए करी छे, तेना मतानुसार प्रत्येक कथा-सूत्रनी परीक्षा अमुक बाबतने लक्षमा राखीने थवी जोईए.
१. एना वृत्तान्तनु सापेक्ष आवर्तन [टकानी गणना करवानो रीत उपर उदाहृत करो छे. ]
२. एना प्रसारण क्षेत्रनो विस्तार,
३. एनी प्रसारण यात्रानी एनो पूर्ण कथाप्रकृति [Complete type 1 साथेनी एकरूपता.
४. सुव्यवस्थित रीते जळवायेल संस्करणो [Versions ] मां एनी उपस्थिति [ जो ते अव्यवस्थित रूपान्तरोमां [Confused Variants] मां उपस्थित होय तो एनुं महत्त्व वधे छे. ]
५. कथा-सूत्रमा न उल्लेख पामेल एवो प्रभावक गुण के जेने कारणे ते सरलताथी स्मरणमा रही शके.
६. सत्रमा स्वाभाविकता, जेना विरोधमां अन्यमां प्राप्त थती अस्वाभाविकता
७. कथानी कार्य-गतिमा पर्नु अनिवार्य स्थान, जेना अभावे कथा-वस्तुनुं गठन न थाय.
८. एनी केवल एक कथा के रूपान्तरमा उपस्थिति. मा बाबतथी एवी विशेष सभावना प्रगट थाय छे के ते आ कथानु मूळ अंग छे, परन्तु जे अन्य कथामोमां पण प्राप्त थाय छे तेना अंगे आवु कहो शकाय नहीं.