________________
४
कनुभाई शेठ आ सदर्भमा ए पण तपास थवी घटे के बाल्टिक प्रदेशनी बधी कथामओ एमां समाविष्ट थाय छे के केम अथवा केटलीक कथाओ के रूपान्तरो कोई अन्य गौणपणे थयेला विकास साथे संकढ़ायेल छे के केम. मा प्रमाणे अन्वेषणा करवाथी सामान्यतः आवा अनेक उप-प्रकारो एना भौगोलिक केन्द्र सहित बडी आवे छ. जे परथी कथाना मूल स्थानने निर्देशी शकाय. वळी ते आ समन परपरानो प्राप्त लिखित स्वरूप साथे शो सबध छे ते पण स्थापित करशे.
मा प्रमाणे आ विशिष्टपणे विकसेल कथासूत्रना मूळ-रूपनी विचारणा थई गया पछी आ सर्व उप-प्रकारोनो समय अभ्यास करी ए सर्वने निपजावनार के ममावी लेनार एवी आदिम प्रकृति के कथानां मूळ-स्वरूप [Arche type] परत्वे ते कोई नवो प्रकाश पाडे छे के केम, तेनी विचारणा करवी जोईए. वो अभ्यास कदाच एवा भौगोलिक वर्गो शोधी आपशे के जे परथी कथाना मूळ स्थानने निर्देशी शकाय, ने समन परंपगना प्राचीन लिखित स्वरूप साथेना संबंधने सूचवे छे भने ए गते सौ प्रथम आ कथा क्यारे जन्मी ते अंगेनो कईक ख्याल मळशे.
एन्टी आर्नेए लोककथानो ऐतिहासिक भौगोलिक पद्धति अनुसार अभ्यास करवा अंगे सुंदर व्यवहार मार्गदर्शन आप्युं छे. तेमज आ पद्धति अनुसार केटलाक आवा कथा-अभ्यासो पण रजू कर्या छे कथाना मूळ उद्भवस्थाननी अन्वेषणाना अनुसधानमा एन्टी आर्ने जणावे छे के कथा मूळ कया स्थानमा आविष्कार पामो हती ते दरेक वखते न पण जडी आवे. वधुमां वधु एटली अपेक्षा राखी शकाय के कथाना स्थान अंगे दक्षिण-पश्चिम एशिया, बाल्कन, उत्तर आफ्रिका, एशिया माइनोर जेवा सामान्य सूचनो आपी शकाय. वळी परीकथाओगें [स्थानिक कथामोनी अपेक्षाप] भाग्ये ज कोई अमुक स्थान नियत होय छे. एटले ए सदर्भमां कथा तत्त्व भाग्ये ज मददरूप नीवडे. आर्ने सूचवे छे के उपलब्ध सर्व साहित्यिक रूपान्तरोन परीक्षण करी जोवु जोईए के ते सर्व कोई चोक्कस बाबत तरफ दोरी जाय छे के केम, पण मा साथे भार्ने अत्रे एवी चेतवणी पण मापे छे के केटलीक वार साहित्यिक रूपान्तरमा कथातत्त्वनी प्रतिलिपि कथाना मूळ स्थान करता बहु दूरनी जग्याएथी प्राप्त करवामां आवी होय छे. सामान्यतः कथाना प्रसारणY केन्द्र नक्की करवानी वधु आधारभूत सामग्र समग्रो भौगोलिक प्रसारणनी भने खास करीने अमुक स्थानोमां कथानो पुनरावृत्ति तथा लोकप्रियतानी समीक्षा करवाथी प्राप्त थाय छे.