Book Title: Sambodhi 1974 Vol 03
Author(s): Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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(3) रागसागर -
(p 59, line 1 )
(4) गुरुनितम्बविम्बपयोधर कुम्भपीडाजनितायासंनेव (p 55, lines 3-4 ) क्षीणतरामुपगतेन मध्यभागनालङ्ककृताम् (p 56, line3 ) ( 5 ) लावण्यपुजाभ्यामित्र ( पयोधराभ्याम् ) (p. 57, line 1 )
( 6 ) त्रिभुवनविजयपरिश्रमखिन्नस्य मकरकेती. (p. 58, line 2)
(7) कन्यामष्टादशवर्षदेशीयामपश्यत् । (p 67, lines 2-3)
(8) निस्त्रित्वमसीना न पुरुषाणाम् 129, line 2)
पुलोमतनयेव (P 130, line 3)
Maan Singh
( 10 ) मदनपरवशविलासिनीतुलाकोटि विकडचटुलचरणारविन्दमन्दप्रहार प्रहृष्टकलित रुशतः (p 132, line 5-6), नवयाथक पङ्क पल्लवित सनूपुरतरुणीचरणप्रहारानुरागवशान्नवकिसलयच्छलन तमिव रागमुदवहदशोक | (p. 137, lines 1-3 ) (11) पयोधरभार
(12) अनवरतश्च नानकालागुरु परिमलोद्गार
( p 168, line 3 )
( 13 ) मदनाग्दिग्धम्य मकरकेतो (p 191, line 3 )
(14) युवति जनधन जघन-
(p 218, line 2-3) (15) मेखला मे खला न भवति (p 225, line 2)
रागसमुदैरिव स्फुरत्प्रवालपटले (p 5, line 8 )
गजकुम्भकठोर पीवर कुचातिभारसाधर्म्य विपरमाणु त्वाद् ध्रुवमभन्तरां बिभ्रती मध्ययष्टिम् ( p 23, lines 12-73 ) सौन्दर्य पुजाभ्यामिव ( पयोधराभ्याम्) (p 23, line 9)
मकर के तोत्रिभुवनविजय प्रयाणशड् खध्वनिम् ( pp. 136, line 4 – 137, line 1 ) अष्टादशवर्ष देशीया युवतिमद्राक्षम् (p 170 lines 13-14 )
गुरु पयोधरभार - (p. 241, line 11 ); ( pp 140, line 3, 157, lines कुचातिभार - (p 23, line 12 ) 5-6, 231, line 3)
ण, न च निस्त्रिशा.
( p. 8, line 16 )
पुलोमकन्यका रुचिर(p 48, lines 5-6) रमणी चरणनलिनताडिताशोक रोषप्रोत्सा हिता शेषवनसमाहृतश शिकर कला विभ्रमेषु (p 25, lines 7-8)
अनवरत दह्यमान कृष्णागुरुबहलधूपवुर्दिनान्धकारासु (p 34, lines 15-16 )
हरदग्धमनोभव (p 23, line 9)
अतिघनजघन (p. 23, line 13) समुद्रमेखला खलेव च (p 133, line 10 )
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