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नस्वार्थसूत्र-ऐतिहासिक मूल्यांकन आखो अध्याय व्रतनो ममस्याना निरूपणमा रोके छे-महाव्रतना शीर्षक नोचे साधुना आचारनी मने अणुवनना शीर्षक नोचे श्रावकना माचारनी चर्चा करे छे. तेमने माम करवू पड्युं कारण के सामान्य चोकठामा बोना द्वैविध्य नी समस्यानु निरूपण आरबना शीर्षक नीचे के संवरना शोर्षक नीचे कसे शकाय तेम न हतु-आम्रवना शीर्षक नीचे की शकाय तेम न हतुं कारण के महावन संवरनो भेद छे, मानवनो भेद नथी; सवरना शीर्षक नीचे करी शकाय तेम न हतु कारण के अणुव्रत आस्रवनो मेद छ, सवरनो भेद नशी. (नवमा अध्यायमा निरूपेली) सवरनी समस्यानी बावतमाय उमास्वानि ते ज पद्वति आनावे छे जे तेमणे आनवनी समस्यानी बाचनमा अपनाको छे, अर्थात् अहों पग मोक्षना हेतुभूत मामवामां आवेली आदर्श साधुनी पैनयिक क्रियाओनी विविध सूचीओ तेओ आपे छे-जे सूचोमो जुदा जुदा ग्रंथोमां घडवामां आवी हती अने वधताओछा प्रमाणमा प्राचीन हती. आम देखीतो रीते ज सौथो प्राचीन सूची त्रण गुप्ति अने पांच समितिओनी हती, बावोस परिषहोनी सूची पण ठीक ठीक प्राचीन हती, पांच चारित्रोनी सूची बहु प्राचीन न हती, बार अनुप्रेशानी सूची अने दस धर्मोनी सूचो बन्ने खूब उत्तरकालोन छे. वधारामां बे प्रकारना तपनीतेमना प्रभेदो साये-सूची प्राचीन हशे पण बहु प्राचीन तो नहीं. निर्जरानी समस्या ९. ४७ मां निरूपवामां आवी छे ज्या आपणने ए मतलबर्नु कहेवामां आव्यु छे के आचारनो दृष्टिए माणस जेटलो ववु शुद्ध तेटलो वधु पुष्कळ निर्जरा ते करे छे-उमास्वातिनी पायानी समजण मा प्रश्न परत्वे जे छे तेनो निर्देश आपणे पहेलां को गया छोए. कर्मबन्ध को रोते थाय छे अने मोक्ष केवी रीते थाय छे तेनो विगतोमा सैद्धान्तिक गूंच ऊतो नथो अने ते विगतोनुं वर्णन क्रमश' माठमा अने दसमा अध्यायोमा छे आम आस्वातिप वारसागत आचारचर्चाओना समग्र राशिने आन। बन्ध, सवा, निर्गरा अने मोक्ष आ पांच तत्वोना चोकठामा गोठवो दीघो. आ रोते सगृहीत सामग्री प्राय' सर्वग्राहो छे भने तेनी गोठवणी प्रायः व्यवस्थित छे, पान्तु आ बधानो एक दोष ए छे के ग्रंथकारमा ऐतिहासिक दृष्टिनो अभाव होवाथो प्राचीन, नूतन मने मध्यवर्ती वस्तुओनो खराब रीते सेळमेळ थई गई छे परन्तु जेवं छे तेवा तत्वार्थसूत्रनो विचार करीए तो उमास्वाति आपणने जे कई आपी शक्या छे ते ते परिस्थितिओमा तो घणुं उत्कृष्ट गणाय. [एकथी पांच अध्यायोमा संगृहीत सामग्रीनी बाबतमा कर्तानी ऐतिहासिक दृष्टिनी स्वामीने लोधे, समग्रपणे विना रीए तो, कई अणर आवती नथो. भाम होईने आ अध्यायो तेमनामा चर्चे को जैन मान्यताओनी अत्यन्त उपयोगो प्रस्तावनारूप बनी रहे छे.]