________________
झिनकू यादव
उसके रेशे से बनाये जाने वाला वस्त्र कहा गया है। हर्षचरित में दुकूल का प्रयोग उत्तरीय, अधोवस्त्र, साड़ी तथा चादर आदि के रूप में किये जाने का उल्लेख है। डा. वासुदेवशरण अग्रवाल के अनुसार सम्भवत कूल का अर्थ देश्य या आदिम भाषा में कान या, जिसे कोधिक जय पनाहै। दोहरी चादर या थान के रूप में विक्रया आने के कारण यह द्विफूल था दुकूल कहलाने लगा। यशस्तिलक में भी दुकल का उल्लेग्न पाया गया है, राजपुर में दुकूल और अंशुक की वैजयंतियां (पताकाये) लगायी गई थी।10 इसी ग्रन्थ में आगे बताया गया है कि राज्याभिषेक के बाद सम्राट यशोधर ने धवल दुकूल धारण किया ।11 हम्मीर महाकाव्य में नीले रंग के दकल का उल्लेख है।19
इन सभी उद्वरगों से स्पष्ट होता है कि दुकूल श्वेत, नीले तथा लाल आदि विभिन्न रंगों का होता था जो मृदु, स्निग्य तथा कीमतो किस्म का काला समझा जाता था।
अगुक समराइचकहा के उल्लेख से पता चलता है कि अंशुक एक प्रकार का महीन एवं सुन्दर रेशमी वस्त्र था18। डा. मोतीचन्द के अनुसार यह चन्द्र किरण एवं श्वेत कमल के समान सफेद होता था ।14 बुनावट के अनुसार इसके कई भेद वताये गये हैं यथा एकांशुक, अर्ध्यधीशुक, दुर्थशुक और व्यंशुक आदि । आचाराग सूत्र में अंशुक और चीनांशुक दोनों का उल्लेख मिलता है ।10 बृहत्कल्पभाष्य में दोनो को पृथक-पृथक गिनाया गया है। कालिदास ने भी सीतांशुक18 अरुणांशुका', रक्तांशुक ० तथा नीलांशुक31 का उल्लेख किया है। हर्षचरित में भी एक स्थान पर मृणाल के रेशों से अंशुक की सूक्ष्मता का दिग्दर्शन कराया गया है। एक अन्य स्थान पर फूल पत्तियों और पझीयों की आकृतियों से सुशोभित अंशुक का भी उल्लेख किया गया है। आदिपुराण में भी रंग भेद से इसे सीतांशुक, रक्तांशुक और नीलांशुक आदि कई नामों से उल्लिखित किया गया है।
यशस्तिलक में भी सफेद अंशुक, कुसुम्भांशुक या ललाई लिये हुए रंग का अंशुक तथा कार्दमिकांशुक अर्थातू नीला या मटमेले रंग का अंशुकग आदि का उल्लेख है। रंग आदि के भेद से अंशुक भी कई प्रकार का होता था जो सम्भवतः दुकूल से निम्न कोटि का कपडा माना जाता था। यह सुन्दर, स्निग्ध तथा महीन होता था। ___ चीनाशुक—समराइचकहा में चीनांशुक नामक वस्त्र का भी उल्लेख है 128 यह एक प्रकार का पतला एवं स्निग्ध रेशमी वस्त्र था। इसका उल्लेख अन्य जैन ग्रन्थों में भी किया गया है।" बृहत्कल्पभाष्य में इसकी व्याख्या कोषकार नामक कीड़े से अथवा चीन जनपद के बहुत पतले रेशम से बने वस्त्र से की गयी है । डा. दशरथ शर्मा के अनुसार चीनांशुक चीनी सिल्क की भांति जान पडता है।1 ____ अर्धचीनाशुद्ध-चीनाशुक की भांति समराइश्चकहा में अर्धचीनांशुक का भी उल्लेख है। संभवतः यह आधा रेशम तथा आधा सूत का बना होता था अथवा चीनांशुक के छोटे नाप का टुकड़ा था।