________________ उत्तर भारत मे जैन पक्षी अम्बिका का प्रतिमानिरूपण में पुष्प (या फल), चामर, पद्म एवं पुत्र स्थित है। स्पष्ट है कि अम्बिका को विशिष्टता प्रदान करने की दृष्टि से कुछ अन्य यक्षियों के समान ही चतुर्भुज अवश्य उत्कीर्ण किया गया, पर अभी तक (862) उस क्षेत्र में उसके पारम्पारक स्वरूप का निर्धारण नहीं हो सका था। यही कारण है कि आम्रलुम्यि एवं वाहन सिंह दोनों ही अनुपस्थित हैं। पिछले पृष्ठों में हम देख चुके हैं के श्वेताम्बर स्थलो (अकोटा एवं ओसिया) पर सातवीं-आठवीं शती में ही आम्रलम्बि एवं सिंहवाहन का प्रदर्शन प्रारम्भ हो गया था। दिगम्बर स्थलों पर दसवीं शती से ही उपर्युक्त दोनों विशेषताओं का नियमित चित्रण प्राप्त होता है। ___प्रारम्भिक दसवीं शती की दो द्विभुज अम्बिका मूर्तियां मालादेवी मन्दिर को उत्तरी एवं दक्षिणी शिखर की रथिकाओं में स्थापित हैं। शीर्ष भाग मे आम्रफल के गुच्छको से सुशोभित सिंहवाहना अम्बिका आम्रलुम्बि एवं पुत्र से युक्त है। खजुराहों के पार्श्वनाथ मन्दिर (954) के दक्षिणी मण्डोवर पर भी त्रिभंग में द्विभुज अम्बिका निरूपित है। आम्रलुम्बि एवं बालक से युक्त अम्बिका का बाइन अनुपस्थित है। मस्तक पर आम्रफल के गुच्छके से सुशोभित अम्बिका का दूसरा पुत्र भी दाहिने पार्थ में अवस्थित है। ज्ञातव्य है कि खजुराहो में द्विभुज अम्बिका के चित्रण का यह अकेला उदाहरण है। खजुराहों की दसवीं से बारहवीं शती की अन्य समस्त मूर्तियों में अम्बिका चतुर्भुजा है। यहा उल्लेखनीय है कि खजुराहो में जहां अम्बिका अंक ही उदाहरण में द्विभुजा है, वहीं देवगढ़ की लगभग 50 मूर्तियों (९षी-१२वीं शती) में अम्बिका द्विभुजा है। देवगढ़ के केवल दो उदाहरणो में उसे चतुर्भुज प्रदर्शित किया गया है। देवगढ़ के मंदिर : 11 के समक्ष के मानस्तम्भ (1056) पर उत्कीर्ण चतुर्भुज मूर्ति में सिंहवाहना अम्बिका की भुजाओं में आम्रलाम्ब, अंकुश, पाश एवं बालक प्रदर्शित है। शीर्ष भाग में आम्रफल के गुच्छक एवं जिन आकृति उत्कीर्ण है। समान विवरणों वाली दूसरी चतुर्भुज मूर्ति मंदिर 16 के स्तम्भ (१२वीं शती) पर उत्कीर्ण है। यक्षी का वाहन अनुपस्थित है, और उर्व दक्षिण भुजा की सामग्री अस्पष्ट है। उल्लेखनीय है कि सामान्यत चतुर्भुजा अम्बिका का चित्रण दिगम्बर परम्परा के विरुद्ध है, क्योंकि केवल अक ही दिगम्बर प्रन्थ में अम्बिका के चतुर्भुज स्वरूप का ध्यान किया गया है, पर उसमें भी यक्षी के साथ शंख, चक्र, परद, पाश के 5+ बसवीं शती के पूर्व की मथुरा एवं लखनक समहालयों की कुछ जिन मूर्तियों में आनम्बि ___का प्रदर्शन प्राप्त होता है, पर वाहन अनुपस्थित है। पार्श्वनाथ मन्दिर के शिखर (दक्षिण) में ही चतुर्भुज अम्बिका की मेक आसीन मूर्ति प्रति ष्ठित है। सिंहवाहना मम्बिका की भुजाओ मे आनम्बि, पूर्ण विकसित परम, पूर्ण विकसित परम एव पुत्र प्रदर्शित है। "इसमें देवगा के सामूहिक चित्रण का उदाहरण सम्मिलिन नही है। पालक की वाम भुजा में भी आम्रफल स्थित है।