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oliser अध्ययननी ऐतिहासिक भौगोलिक पद्धति
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९. एवी संभावना के आ सूत्रमांथी अन्य सूत्रोनो पण उद्भव थई शके छे. आ प्रकारनी कसोटी सामान्यतः स्पष्टपणे ख्याल आपशे के कथांशनु कयुं स्वरूप मूळरूपमा उपस्थित हतुं अने कयुं स्वरूप पाछळथी एमांथी विकसित थयुं हतुं.
कथानां जुदां जुदां सूत्रो अंगे आ प्रमाणे करेला अभ्यास अने परीक्षण पछी प्राप्त थती आधार - सामग्री पूरता प्रमाणमा असंदिग्ध भने निश्चयात्मक रूपनी होय तो अभ्यासके आ आधार सामग्री परथी जे जे विगतो मूळ रूपमा होवानो निर्देश कर्यो होय ते समग्रने लक्षमां लईने मूळ कथानो रूपरेखा रची काढवी जोईए. जो के घणीवार आ रीते जुदां जुदां कथा-सूत्रनी अन्वेषणा कर्या पछी सहज रीते आदि प्रकृति के मूल कथानी रूपरेखा आलेखवानुं शकय बनतु नथी. आ सदर्भमां अभ्यासके प्रथम अजमायशी आदिमप्रकृति के मूल कथानी [trial arche type] रूपरेखा घडी काढवी जोईए. एमां वधु अभ्यास करवामां आवतां के नवतर सामग्री प्राप्त थतां सुधारा वधाराने अवकाश रहे.
IT प्रमाणे अभ्यास कर्या पछी कथा के कथा-सूत्रनां विविध रूपान्तरो अंगे हवे प्रर्याप्त प्रमाणां सामग्री सांपडती होवाना कारणे पूर्वे जे शक्य न हतुं ते ऐतिहासिक अने भौगोलिक तथ्य अंगेनी अन्वेषणा शक्य बनशे. नवा मुद्दाओ लक्षमां आवशे. पूर्वे जे कथा- सूत्रो अल्पसंख्य रूपान्तरोमां उपस्थित थवाने कारणे अगत्यनां जणाता न हतां ते प्राचीन समयनां बधां साहित्यक रूपान्तरोमां उपस्थित छे तेम सामन्य रीते जणाई आवशे, आम आ कथा - सुत्रो ध्यान पर आवशे अने ते अगत्यना बनी जशे. आ अंगे विशेष अन्वेषणाने अते आ रूपान्तरोमां अरसपरसनु एवं पण साम्य मळी आववा संभव छे के आ समानताना संदर्भमां ते बघांने एक अलायदा जूथमां वर्गमां तारववा अनिवार्य बनी रहे अने बळी एम पण बने के प्राचीनानी अपेक्षाए आ रूपान्तरो मूळ स्वरूपनी वधु समीप होई शके अथवा एवं पण जणाय के आ बाबत मात्र अमुक मर्यादित क्षेत्र पुरती ज मळी आवती होय. उदाहरण तरीके, घारो के अमुक बाबत के मुद्दो [उपर कथित कथाना कोई पण मुद्दा ने अहीं लक्षमां राखी शकाय ] मात्र बाल्टिक प्रदेशमां ज मळी आवे. आ परथी एम सूचवाय के आ प्रदेशमांथी प्राप्त थती बघी कथाओ के रूपान्तरोनुं विशेषपणे विश्लेषण करी ए तपासवु जोईए के आ मात्र बाल्टिक प्रदेशमां उदभूत थयेल खास उप-प्रकार [ Subtype] छे के केम. जो एम होय अर्थात् कोई उप-प्रकारनो विकास थयो होय तो एना मूळ- रूपनी शोध करवा प्रयास करवो जोईए वळी