________________
६७
लोककथा अध्ययननी ऐतिहासिक भौगोलिक पद्धति विगतनुं विश्लेषण कार्य, आ बे बाबत लोक-कथाना जीवन-इतिहासना उत्तम अभ्यास मर्थे प्रथम आवश्यकता लेखे व्यापकपणे स्वीकारावा मांडी छे.
___सामान्यतः मोटा भागना प्रख्यात प्रबंधोमां काहेन भने मार्नेए विनियोग करेल अने एन्डरसन वडे जेनो विकास थयो छे, ए कला-कसबने अपनाषवामा मान्यो छे.
काहेननु एशिया भने युरोपनी लोककथामो अंगेर्नु मंतव्य या संदर्भमा नोधपात्र छे.
आपणे गमे ते प्रकारनी लोककथानुं निरूपण करता होईए, सम्प्रसारणना बे केन्द्रो ऐतिहासिक काळमां स्पष्टपणे छूटा पाडो शकाय तेम छे : भारत भने पश्चिम यूरोप. जो कथा मूळमृत रीते भारतनी होय ते एर्नु परिभ्रमण, सामान्य नियम लेखे, सामान्य सांस्कृतिक प्रवाहना एशियाथो युरोपना वहननी दिशामा मागळ वधतुं दर्शावी शकाय छे. पश्चिम युरोपनी कथानुं प्रसारण ऊलटो दिशामा एशियाना मात्र ए ज विभाग सुधो पहोंच्यु छे के जे माग रशियानी हकुमत नीचे आव्यो हतो. मा प्रसरण केन्द्रो, गमे तेम, एक मात्र तेम नथी. एशिया माईनोर भने पूर्व भने उत्तर युरोपमा पण बहारथी मावेली कथामो सासाये प्रसंगोपात नवी नवी कथाओनो विकास पण थयो छे. मा उपरान्त पश्चिमी युरोपनी कथाओनो उद्भव सामान्यतः भारतथी आवेली कथाओना वास्तविक भने औपचारिक प्रभाषे थयो छे.
युरोपीयन कथा परत्वे, भारतीय कथा मध्यस्थीपणुं के भाडफतरं अवलं बन कथानी जन्मभोम अंगेना प्रश्ननो उकेल आणी शके तेम नथी. वळी एटलं ज नहीं पण मात्र प्राचीन ईजिप्तमा ज नहीं पण बेबोलोनना अवशेष [tragments] प्रकाशमां आवतां मा प्रदेशो पण कथासंक्रमणना मूळभूत केन्द्र होवानो प्रश्न उपस्थित थयो छे. या शक्यताओ पण तपासवी जोईए.
ए स्पष्ट छे के लोककथाना जीवन-इतिहास अंगे हजी घणु बधु जाणवार्नु बाकी रहे छे जे बाबतोनी चर्चा करवानो प्रयास कयों छे, ते मुख्यत्वे अमुक कथाओनां मूळ अने प्रसारण भंगे समजूती रजू करे छे अने प्रसंगोपात विशाळ कथा-समूहने लागु पाडी शकाय एवां केटलांक तथ्यो शोधी आपे छे.
मा प्रमाणे मापणे आ कथा-जूथोनी अभिरूचि अंगे कईक जाणी शकीए छीए. जेमके अमुक लोको परिभ्रमणकथामो बकेम पसंद करे छे,