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में परम पूज्य दादाश्री की कृपा, पूज्य नीरू माँ के आशीर्वाद, देव - देवियों की सहायता से और हर एक डिपार्टमेन्ट में अनेक महात्मागण की सेवा के निमित्त से, अंत में यह पुस्तक आपके हाथ में आ रही है।
दादाश्री ने अनेक महात्माओं और मुमुक्षुओं के साथ बीस साल में बहुत से सत्संग किए हैं, उनमें से कितने ही टुकड़ों को इस तरह से संकलित करने का प्रयास किया गया है कि मानों यह सत्संग एक ही व्यक्ति के साथ हो रहा है
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जैसे एक फिल्म के लिए प्रोड्यूसर-डायरेक्टर अलग-अलग क्लिपें बनाता है, एक कलाकार के जीवन में बचपन, विवाह और मृत्यु कश्मीर में होता है तो वह एक साथ उसकी पूरी फिल्म बना लेता है, फिर स्कूल, जवानी और व्यापार वगैरह दिल्ली में होता है, घूमने के लिए पेरिस, स्विट्ज़रलैंड गया हो, इस प्रकार अनेक क्लिप होती हैं लेकिन उसके बाद एडिटिंग होकर, हमें बचपन से लेकर मृत्यु तक के सीन (दृश्य) देखने मिलते हैं। इसी प्रकार दादाश्री की वाणी में एक सब्जेक्ट के लिए बिगिनिंग से एन्ड (शुरुआत से अंत) तक की सभी बातें मिलती है । अलग-अलग निमित्तों द्वारा, अलग समय में, अलग क्षेत्र में निकली हुई वाणी, एडिटिंग (संकलित ) होकर अब हमें यहाँ पुस्तक के रूप में मिलती हैं। आत्मा और अनात्मा के जोड़ (संधि) पर रहकर पूरा सिद्धांत खुला किया है। हम इस वाणी को पढ़ेंगे, स्टडी करेंगे जिससे कि उन्होंने जो अनुभव किए, वही हमें समझ में आए और अंत में अनुभव में आए।
दीपक भाई देसाई
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