Book Title: Sachitra Sushil Kalyan Mandir Stotra
Author(s): Sushilmuni, Gunottamsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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यस्मिन् हर-प्रभृतयोऽपि हतप्रभावाः, सोऽपि त्वया रतिपतिः क्षपितः क्षणेन। विध्यापिता हुतभुजः पयसाथ येन, पीतं न किं तदपि दुर्धर-वाडवेन ?।।११।।
जैसे जो जल अग्नि को बुझाता है उस जल को भी बड़वानल सोख लेती है। इसी तरह से हे भगवन् ! जिस कामदेव ने समस्त हरि-हरादिक देवों को जीत लिया है उस कामदेव को भी आपने क्षणभर में पराजित कर दिया है।
જેવી રીતે જે જળ અગ્નિને બુઝાવે છે, તે જળને પણ અગ્નિજ્વાળા શોષી લે છે. તે જ રીતે હે ભગવાન ! જે કામદેવે સમસ્ત હરિ-હરાદિક દેવોને જીતી લીધા છે, તે કામદેવને પણ આપે ક્ષણમાં પરાજિત કરી દીધાં છે.
Water, that extinguishes fire, is turned into fuel by marine-fire. In the same way, O Bhagavan ! You have vanquished Kaam Dev (the god of love; Cupid) within no time; the Kaam Dev who has overwhelmed all gods including Hari and Har.
| चित्र-परिचय
जिस प्रकार जल से अग्नि तो शान्त हो जाती है, परन्तु बड़वानल की आग जल को भी जला देती है।
उसी प्रकार हे प्रभु ! हरि-हरि आदि देवों को जीतने वाले काम (कामदेव को बड़वानल की उपमा दी है) को भी आपने पराजित कर दिया।
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