Book Title: Sachitra Sushil Kalyan Mandir Stotra
Author(s): Sushilmuni, Gunottamsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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उसी समय एक देवेन्द्र वहाँ आया-“हे मातेश्वरी ! मैं सौधर्म देवलोक का स्वामी शक्र आपको प्रणाम करता हूँ।" फिर शक्रेन्द्र ने शिशु रूप तीर्थंकर देव को नमस्कार किया-"हे तीन लोक के तारणहार ! मेरी वन्दना स्वीकारें ! मैं आपका जन्म अभिषेक करना चाहता हूँ।" कहकर शक्रेन्द्र ने माता को अवस्वापिनी निद्रा में सुला दिया। फिर शिशु का एक प्रतिबिम्ब बनाकर माता के पास रख दिया।
इन्द्र ने अपने पाँच स्वरूप बनाये। एक स्वरूप ने शिशु-प्रभु को गोदी में उठाया। दो, दोनों ओर चावर बीजने लगे। एक ने छत्र किया और एक स्वरूप हाथ में वज्र घुमाता हुआ आगे चलने लगा।
मेरु पर्वत की श्वेत स्फटिकमयी शिला पर गोद में लेकर बैठ गये। चारों दिशाओं से अनेक इन्द्र आ-आकर प्रभु को वन्दना करने लगे। ईशानेन्द्र ने सोने के वृषभ सींग में से जलधारा प्रकट कर बाल प्रभु का अभिषेक किया। १० वैमानिक, २० भुवनपति, ३२ व्यन्तर, २ ज्योतिषक, इस तरह ६४ इन्द्रों ने १ क्रोड ६० लाख कलशों से प्रभु का जन्माभिषेक किया।
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VIUSUGOIVA
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क्षमावतार भगवान पार्श्वनाथ
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