Book Title: Sachitra Sushil Kalyan Mandir Stotra
Author(s): Sushilmuni, Gunottamsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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पार्श्वकुमार ने द्वारपाल से पूछा-"लोगों का झुंड कहाँ जा रहा है? क्या कोई उत्सव है?" द्वारपाल-"स्वामी ! नगर के बाहर कमठ नामक एक तापस पंचाग्नि तप कर रहा है। लोग तापस के दर्शन, पूजन करने जा रहे हैं।" ___पार्श्वकुमार ने ध्यान लगाया। अपने तथा कमठ के पिछले नौ जन्मों के दृश्य चिन्तन में उभर गये।
१. कमठ तापस को मरुभूति झुककर नमस्कार करता है। वह उस पर पत्थर मारता है। २. हाथी भव-हाथी सरोवर के दलदल में फँसा है। उड़ता लम्बा साँप डंक मार-मारकर घायल कर रहा है। ३. सहस्रार देवलोक में देव बने हैं। ४. राजा किरणवेग बने और उग्र तपस्या की एवं विषधर सर्प ने डंक लगाया। ५. बारहवें देवलोक में देव बने। ६. वजनाभ राजा बनकर दीक्षा ली। भील ने छाती में तीर मारकर घायल कर दिया। ७. मध्य ग्रेवेयक देव विमान में देव बने। ८. सुवर्णबाहु चक्रवर्ती बने, एक खूखार सिंह के रूप में कमठ के जीव ने उपद्रव किया। ६. प्रांणत देवलोक में देव बने।
"अच्छा ! अब यहाँ तापस बना है। चलो देखते हैं।"
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क्षमावतार भगवान पार्श्वनाथ
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