Book Title: Sachitra Sushil Kalyan Mandir Stotra
Author(s): Sushilmuni, Gunottamsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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देवेन्द्रवन्ध ! विदिताखिलवस्तुसार ! संसार-तारक ! विभो ! भुवनाधिनाथ ! त्रायस्व देव ! करुणाह्रद ! माम् पुनीहि, सीदन्तमद्य भयद-व्यसनाम्बुराशेः।।४१।।
हे देवेन्द्र वन्दनीय ! सब पदार्थों के रहस्य को जानने वाले, संसार-सागर से पार उतारने वाले, तीन लोक के नाथ, हे दया के सरोवर ! आप मुझ दुःखी को जन्म-मरण से भरे भयंकर दुःखों के संसार से बचाओ।
હે દેવેન્દ્ર વંદનિય ! બધા પદાર્થોના રહસ્યોને જાણવાવાળા, સંસાર-સાગરથી પાર ઊતારવાવાળા, ત્રણ લોકના નાથ, હે દયાના સરોવર ! આપ મુજ દુ:ખીને જન્મ-મરણથી ભરેલા ભયંકર દુ:ખોના સંસારથી બચાવો.
_____Devendra Vandaniya (Venerated by kings of gods) ! 0 Omniscient, who knows all secrets of all substances! O Saviour, who helps cross over the ocean of mundane existence ! O Lord of the three worlds ! O ocean of compassion! Kindly save me from this world of terrible miseries of cycles of rebirth.
चित्र-परिचय
तीनों लोकों के स्वामी प्रभु पार्श्वनाथ को इन्द्रादि वन्दना करते हैं । दुःखी मानव को प्रभु की शरण में जाने से जन्म मरण के दुःखों से मुक्ति प्राप्त होती है।
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