Book Title: Sachitra Sushil Kalyan Mandir Stotra
Author(s): Sushilmuni, Gunottamsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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तप-जप-साधना नहीं करूँगा तो भोगों की आसक्ति के कारण अगले जन्म में दुर्गति में जाना पड़ेगा।
इस प्रकार चिन्तन करते हुए सुवर्णबाहु को वैराग्य प्राप्त हुआ। उसने पुत्र को राज्यभार सौंपकर तीर्थंकर भगवान के पास संयम दीक्षा ग्रहण कर ली।
अनेक प्रकार के तप, कायोत्सर्ग साधना अभिग्रह करते हुए सुवर्णबाहु ने पुनः-पुनः बीस स्थानकों की आराधना कर तीर्थंकर नामकर्म का उपार्जन किया।
एक बार मुनि सुवर्णबाहु किसी पर्वत शिखर पर जाकर सूर्य के सामने दोनों भुजाएँ 2 सिद्ध अरिहंत
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