Book Title: Sachitra Sushil Kalyan Mandir Stotra
Author(s): Sushilmuni, Gunottamsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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सर्व जगत्
के प्राणियों
के रक्षक हे
जिनेश्वर !
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आप विश्व स्वामी होते हुए भी दुर्गत दरिद्र हैं। यहाँ विश्व के स्वामी होते हुए दरिद्र बताने में विरोधाभास है, इसे दूर करने के लिए दुर्गत का अर्थ "कष्ट पूर्वक जाने जा सकने योग्य है।"
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अध्यापक विद्यार्थी को भगवान का स्वरूप समझाते हैं पर विद्यार्थी नहीं समझ पाता ।
हे ईश ! आप अक्षर के स्वभाव वाले होते हुए भी अलिपि-लिपि रहित अर्थात् अक्षर रहित हैं। इस अर्थ में भी विरोधाभास है। इसे दूर करने के लिये अक्षर अर्थात् मोक्ष के स्वभाव वाले और अलिपि का अर्थ कर्म के लेप से रहित लगाया गया है।
हे ईश्वर आप अपने कैवल्य ज्ञान द्वारा तीनों लोकों के सम्पूर्ण पदार्थों और उनकी सम्पूर्ण पर्यायों को जानने वाले हैं अतः आप सर्वज्ञ हैं।
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