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श्री श्वे. स्था. जैन वीरमण्डल, केकड़ी का
संक्षिप्त परिचय
केकड़ी (जि० अजमेर ) में पहिले कोई स्था० जैन संस्था नहीं थी। न कोई विद्वान मुनि महात्मा का पधारना होता था। सद् भाग्य से सं० १९८७ फाल्गुन कृष्ण २ को महावैरागी, एकान्त मौन योगी प्रेमी, आदर्श ब्रा० ब्र० श्रात्मार्थ मुनि श्री मोहनऋषिजी महाराज श्री का पदार्पण हुआ। मुनि श्री के उपदेशामृतसे स्था० नैन श्री संघ में नूतन जागृति हुई और चैत्र शुक्ला १ सं० १९८८ को उक्त मंडल की स्थापना हुई। ____मंडल के धर्म प्रेमी उत्साही मंत्री धनराजजी जैन और सभासदों ने श्री संघ की सेवा करना प्रारम्भ किया, जब से प्रति वर्ष चातुर्मास (मुनिवर या महासतीजी के ) होने लगे । धर्मस्थानक बन गया और सूत्र बत्तीसी, टीकाएँ, तथा सामाजिक, धार्मिक, राष्ट्रीय आदि १५०० पुस्तकों का संग्रह हो गया।
इस प्रकार पुस्तकालय और वाचनालय चल रहा है । मंडल के आय व्यय और कार्य की रिपोर्ट यथा समय प्रकट होती रहती है। उक्त मंडल की तर्फ से ही इस समालोचना की ५०० प्रति छपायी गयी है।
स्थान २ पर ऐसी सुसंगठित संस्थाएँ खोलकर शासन सेवा का सुयोग प्राप्त करना जैन भाइयों का पवित्र कर्तव्य है ।
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