Book Title: Revati Dan Samalochna
Author(s): Ratnachandra Maharaj
Publisher: Shwetambar Sthanakwasi Jain Vir Mandal

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Page 68
________________ रेवती-दान-समालोचना ५३ सन्द का पक्ष (पाकर ) नामक वृक्ष अर्थ कहा है । वनौषधिदर्पण नामक पुस्तक के पृष्ठ ४४० पर प्लन का वर्णन इस प्रकार दिया है पक्ष:-Ficus infectoria _ A large deciduous tree. Astringent and cool. ... प्लक्ष कसैला, शीतल, व्रण और योनि के रोगों का नाशक, दाह, पित्त तथा कफ का मिटाने वाला, शोथ रोग और रक्तपित्त का नाशक है। .. · इस प्रकार कपोत शब्द का वाच्य प्लक्ष वृक्ष दाह और पित्त का नाशक है अतएव सम्भव है उसका उपयोग किया गया हो। रहा शरीर शब्द, सो फल, वृक्ष रूप शरीर का एक अवयव होता है और लक्षणा वृत्ति से उसका अर्थ ठीक बैठ जाता है ॥३६॥ पाठान्तर से कपोत का तीसरा अर्थ अथवा इस पाठ में पहले कावोई शब्द होगा जो 'कवोय' ऐसा सुना गया होगा । ह्रस्व 'क' और 'ई' की जगह 'य' प्रमाद से हो गया होगा, क्योंकि इनके उच्चारण स्थान एक ही हैं ।। ३७ ॥ . शरीर शब्द का प्रयोग शक्ति से ही युक्त हो जाए, ऐसा कोई प्रकार यदि हो सकता है तो बताइए? ऐसी आशंका होने पर दूसरा प्रकार दिखाते हैं। पुस्तक रूप में लिपिबद्ध होने से पहले सूत्रों में अति-अनु. श्रुति की परम्परा थी। गुरु अपने शिष्य को सूत्र सुनाता था और वह शिष्य फिर अपने शिष्य को सुनाता था। इस प्रकार कानों कान सुनने की परम्परा होने पर देश के भेद से उच्चारण में और श्रुति में भेद होना सम्भव है। वर्तमान काल में भी यह बात देखी जाती है। अतः अति अनुश्रुति की परम्परा के समय 'काबोई शब्द 'कवोय' ऐसा सुना गया। शास्त्रों के लिखने की प्रणाली महावीर स्वामी के निर्वाण से ९८० वर्ष व्यतीत हो जाने पर आरंभ हुई थी। उससे पहले और उसके पश्चात् Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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