Book Title: Revati Dan Samalochna
Author(s): Ratnachandra Maharaj
Publisher: Shwetambar Sthanakwasi Jain Vir Mandal

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Page 70
________________ रेवती-दान-समालोचना मी अनेक शब्दों में पाठान्तर हो गया देखा जाता है। इसी प्रकार 'कावोई शब्द यदि 'कवोय' बन गया हो तो इसमें कुछ भी आश्चर्य की बात नहीं है! मगर ऐसा हुआ क्यों ? इसका समाधान यह है कि उच्चारण: स्थानों की समानता है। ई और य, ये दोनों वर्ण तालु स्थान से बोले जाते हैं, तथा आ और अ ये दोनों स्वर कंठ से बोले जाते हैं। इस प्रकार समानता होने से सम्भव है ई की जगह य सुना गया हो और आ की जगह अ सुना गया हो। अथवा यह भी सम्भव है कि लेखकों की असावधानी से यह परिवर्तन हो गया हो। ऐसी अवस्था में 'दुवे कवोई सरोराओ' ऐसा मूल पाठ मान लिया जाय तो शरीर शब्द का अर्थ घटाने के लिए लक्षणा का आश्रय नहीं करना पड़ेगा, शक्ति से ही अर्थ घट जायगा ॥ ३७॥ ___ काबोई शब्द का स्पष्ट अर्थ काली और सफेद दो प्रकार की कापोती, वनस्पति अर्थ में कही गई है। उसके लक्षण, उत्पत्ति, और भेद भी वहाँ निरूपण किये गये हैं ॥३८॥ सुश्रुतसंहिता से यह बात सिद्ध है कि कापोती शब्द का प्राचीनकाल से वनस्पति अर्थ होता है। उक्त ग्रन्थ में उसका उपयोग, उत्पत्ति स्थान और लक्षण विस्तार के साथ बताये गये हैं। देखिए श्वेतकापीती समूलपत्रा भक्षयितव्या गोनस्यजगरी कृष्णकापोतीनां सनखमुष्टिं खण्डशः कल्पयित्वा क्षीरेण विपाच्य परिपरिनाविर्तामभहुतन्छ सकृदेवोपभुजीतम् ॥" (पूज ८२.) सफेद कापोती का लक्षण बिना पत्ते की, कनक के समान, मूल में दो अंगुल प्रमाण, सांप जैसे आकार की, अन्त में लोहित वर्ण की, सफेद कापोती कहलाती है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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