Book Title: Revati Dan Samalochna
Author(s): Ratnachandra Maharaj
Publisher: Shwetambar Sthanakwasi Jain Vir Mandal

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Page 11
________________ [ २ ] जो महानुभाव हमारे आगम, साम्प्रदायिक कट्टरतावश, देखते हैं, वे सूत्रों के रहस्य की खोज तो केवल खंडनात्मक दृष्टि से ही ही न समझ सके तो भला कारण पंडित अजितप्रसादजी शास्त्री ने अपनी की धुन में रेवती के लिए मांसाहारिणी आदि शब्द लिखने का दुस्साहस किया है जो श्री श्वेताम्बर आगमों की अनभिज्ञता का स्पष्ट परिचय है । वास्तविक भाव दूर रही । इसी कीर्ति व ख्याती पाठक, इस पुस्तक को जिज्ञासा भाव व तत्व निर्णय की दृष्टि से पढ़ें और वास्तविक रहस्य का निर्णय करें 1 नम्र निवेदक धनराज जैन मंत्री श्री श्वेताम्बर स्थानक वासी, जैन वीर मंडल केकड़ी ( अजमेर) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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