Book Title: Rajvidya
Author(s): Balbramhachari Yogiraj
Publisher: Balbramhachari Yogiraj

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Page 11
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ज ) बल है । जैसे अंग्रेजों का भी ( Proverb ) है कि ( Knowledge is the Greatest Power ) इसी के अनु. सार अंग्रेज सैकड़ों (Detectives ) रखते हैं और वर्तान्त जानने के लिये ही आपके वंश में पहले के राजा माहाराजा रात को गस्त में जाया करते थे, और स्वयं भी पोशीदा तौर से खुपीया प्रजा से हाल सुनते थे, क्यूंकि प्रकृति नियमानुसार सर्वेबल बुद्धि प्रजागणों में बटी हुई है, इसलिये प्रजागणों में और हम लोगों में जो जो सभ्य व्यक्ति बुद्ध जन है, उनसे मिलते थे. और मिलने से ही अनुभव होता है । एसे राजाओं को कोइ धोके में नहीं डाल सकते थे जिससे उनके राज्य में प्रजा उपद्रवी नहीं होती और कोई विघ्न नहीं पड सकता । इसी विद्या के ज्ञान से आप ही के वंश में केइ चक्रवर्ति राजा सम्राट महाराजा हुवे उन ही का पवित्र रक्त आप में रम रहा है । आप स्वयं अद्वितिय बुद्धिमान हैं आपकी बुद्धेि मामुली साधारण राजाओं की सी नहीं है सिर्फ For Private And Personal Use Only

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