Book Title: Purn Vivaran
Author(s): Jain Tattva Prakashini Sabha
Publisher: Jain Tattva Prakashini Sabha

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Page 13
________________ ( १९) खण्डन रूपमें लिखा । उक्त दोनों उनके ट्रैक्टोंका उत्तर देना उचित समझा गया प्रतः सभाकी ओर से निम विज्ञापन प्रकाशित किया गया। .. ॥ बन्दे जिनवरम् ॥ स्वामी दर्शनानन्द जी की समीक्षा” की समालोचना सर्व साधारण सज्जन महोदयोंकी सेवामें निवेदन है कि आज सायंकाल के ८ बजेसे स्थान गोदोंकी नशियां में प्रागरे दरवाजे के बाहिर श्रीमान कुं. वर दिग्विजयसिंह जी साहिव स्वामी दर्शनानन्द जी की “जैनी पंडितोंके प्रश्नोत्तरों की समीक्षा, शीर्षक पुस्तकको समालोचना करेंगे तथा उनकी “जैन मत समीक्षा', नामक पुस्तक की भी समालोचना होवेगी ॥ अतः सर्व सज्जन महाशय उपरोक्त समय पर अवश्य मेव पधारें और व्याख्यान श्रवण कर लाभ उठावें विशेष्वलम् ॥ प्रार्थीःअजमेर घीसूलाल अजमेरा ता० २६ जून १९१२ मंत्री-श्रीजैनकुमार सभा, a>सन्ध्याको सभाके पैराडाल में सभाको द्वितीय बैठक हुई । भजन व मङ्गलाचरण समाप्त होने पर कुंवर साहन स्वामी दर्शनानन्द जी के "जैनीपगिहतोंके प्रस्नोत्तरों की समीक्षा शीर्षक ट्रैक्ट को समालोचना करने को उठे और मापने उस समीक्षाका भली भांति शान्ति पूर्वक खण्डन और अपने दि. ये हुये उत्तरों को प्रमाणा और युक्तियों से मण्डन किया । कुंधर साहबका यह खबहन मखन "समीता वीक्षण" के नामसे शीघ्र ही प्रकाशित होगा। पूर्व नियमानसार ही आर्यसमाजी भाइयों ने कुंवर साहब के व्याख्यान में ही अपना निन्न विज्ञापन वांटा। ॥ प्रोम् ॥ कंवर दिग्विजयसिंहजी की समालोचना की प्रत्यालोचना ॥ __सर्व साधारणको सूचित किया जाता है कि कल ता० ३०-६-१२ रविवार

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