Book Title: Purn Vivaran
Author(s): Jain Tattva Prakashini Sabha
Publisher: Jain Tattva Prakashini Sabha

View full book text
Previous | Next

Page 111
________________ ( १०८ ) मानते हैं कि हरकत संयोग और वियोग में होती है पर एक हरकत का एक ही फल हो सकता है। हरकत देनेवाले के अभाव में हरकत का भी प्रभाव होजाता है अतः यह कहना ठीक नहीं कि हरकत सदा बनी रहती है। आपके वेदान्तानुसार संयोग और वियोग दो बिरुद्ध गुण (फल) होने के कारण एक क्रियाके फल नहीं हो सकते । जब कि किमी समय में इस संसारका अमात्र, आपके माने हुए ईश्वरको सत्ता, उसके क्रियाको प्रावश्यकता, अन्वय व्यतिरेक सम्बन्ध न होनेसे उस क्रिया में परमाणुओं को हरकत देना आदि सिद्ध नहीं होते तो पापका ईश्वर कैसे सृष्टिकर्ता माना जा सकता है ? साइम्स भी ईश्वरको सृष्टिकर्ता महमें मानता । वह पदार्थों के स्वभावसे ही सष्टि का सब काम चलना मानता है। हमारा प्रश्न मार्यपर ज्योंका त्यों बड़ा है। - स्वामीजी-मुख दुःख अपने स्वभावानुसार पाये जाते हैं। साइंस भी प्रत्येक वस्तुका हेतु बतलाता है। जिससे सृष्टिका हेतु परमात्मा सिद्ध होता है। अग्निका उदाहरण विषम नहीं । उदाहरस धर्ममें दिया जाता है। अग्नि परिमाणुओं में व्या है वह चारों ओरसे हरकत देता है। ईश्वर भी सारे देशमें व्याप्त है। देगचेमें गर्मी एकदेशी नहीं । ब्रह्माण्ड में परमात्मा भी एकदेशी नहीं, इसलिये अग्निका उदाहरण विषम नहीं। माप धान और चावलका दृष्टान्त जो कि भिन्न भिन्न समयमें पैदा होते हैं अनादिके साथ कैसे देदिया करते हैं। चावलोंको हरकत जो मिलती है वह भी अन्दरकी हरकत है और सष्टिकी हरकत भी परमात्माके अन्दरसे है।.. वादि गजकेसरी गो-सूर्यको गर्मी देने रूप किपासे जीवोंको मुख दुस प्राप्त होनेका खण्डन हम पूर्व ही कर चुके हैं। हम मानते हैं कि साइन्स प्रत्येक वस्तुका हेतु अपनी पहुंचके अनुसार बतलाता है पर उससे सृष्टिका हेतु परमात्मा कैसे सिद्ध होता है सो पापही जानते होंगे। अग्निका उदा. हरविल्कुल विषम है क्योंकि अग्नि असंख्यात परमाणु वाला खगड पदार्थ और ईश्वर शुद्ध एक स्त्र प्रखण्ड द्रव्य है। प्रथम मापने कहा था कि 'ईवर वाहरसे हरकत नहीं देता। वह भागके समान अन्दरसे हरकत देता है और अब भाप कहते हैं कि 'अग्नि परमाणुओंमें व्याप्त है वह चारों ओर हरकत देता है। इन दो परस्पा मेरी मां और बांझके समान विरुद्ध वाक्पों में आपका कोन सा वापस प्रमाण माना जाय । धान और चावलका दृष्टान्त इन कर्ममल युक्त जीवके नाम पर्यायों में उत्पन्न होनेके विषय में देते हैं जो कि ठीक हो

Loading...

Page Navigation
1 ... 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128