Book Title: Purn Vivaran
Author(s): Jain Tattva Prakashini Sabha
Publisher: Jain Tattva Prakashini Sabha

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Page 115
________________ ( ११३ ) शास्त्रीजी — ईश्वरी जगतः कर्ता पितामन्तरेण यथा न पुत्रोत्पत्तिस्तथैवेश्वदेण' बिना कथं जगति कार्याणि उत्पद्यन्ते । चित्यादिकं कर्तृन्ये कार्यत्वाद् घटवदित्यनुमानेनापि ईश्वरं साधयामः । ( भावार्थ ) ईश्वर जगत् का कर्ता है। जैसे कि बिना पिता के पुत्र उत्प न नहीं होता इसी तरह बिना ईश्वर के संसार में कोई. भो कार्य उत्पन्न नहीं हो सक्ता । पृथ्वी प्रादिक कर्ता को बनाई हुई हैं कार्य होने से घड़े के समान इस अनुमानसे भी ईश्वरको सिद्धि होती है ॥ - न्यायाचार्य्यजी — ईश्वर सहत्रे यदनुमानं प्रमाणत्वेनाभिप्रेतं तस्य चोपतिर्व्याप्तिज्ञानाद्भवेद् व्याप्तिज्ञानं च भवतां मिथ्याज्ञानं न मिथ्याज्ञानेन न खस्यगनुमानोत्पत्तिर्भविष्यति किंवा स्मिन्ननुमाने सत्प्रतिपक्षोहेतुः विश्यङ्कुरःदिकं कर्त्रजन्यं शरीराजन्यत्वादाकाशवत् अथच सृष्ट्यादौ यूतां पुरुषाणां पितर मन्तराऽपि उत्पत्तिरतो यथा पितरमन्तरा न पुत्रोत्पत्तिरिति दृष्टान्ताभासोऽयम् । में ( भावार्थ ) ईश्वरकी सज़ा-साधने में जो अनुमान प्रमाण आपने दिया अनुमान की उत्पत्ति व्याप्ति ज्ञानसे हो सकती है और व्याप्ति ज्ञान आपके यहां मिथ्याज्ञान में माना है "मिथ्या ज्ञानं त्रिविधं संशय विपर्यय तर्क भेदात् " मिथ्या व्याप्ति ज्ञानसे प्रमाण भूल अनुमान की उत्पत्ति नहीं हो सकती । आपके दिये हुये अनुमान में हेतु सत्प्रतिपक्ष भी है क्योंकि पृथ्वी आदिक किसी कर्त्ताके बनाये हुये नहीं हैं क्योंकि संसार बुद्धिमान् कर्त्ता से कार्य जितनें देखे जाते हैं सो शरीर सहित कर्त्ताके बने हैं पृथ्वी आदिका कोई शरीरधारी कर्त्ता दीखता नहीं अतः ये कर्त्ता के बनाये हुये नहीं है । कार्य को कारण मात्र से व्याप्ति है कर्ता से नहीं और श्रापने पिता के बिना पुत्रको उत्पत्ति नहीं होती यह दृष्टान्त दिया सो भी ठीक नहीं है क्योंकि सृष्टिकी आदिमें नवीन युत्रा पुरुष उछलते कूदते छापने ही विना पिताके पैदा हुये माने हैं ॥ शास्त्री जी - यद्भवद्भिः प्रतिपादितं तत्सम्यक् । सत्प्रतिपक्षोक्षेषो नास्ति ईश्वरः सर्वशक्तिमान् । विना पद्भ्यां गच्छति कर्णाः शृ सोति स्वीक्रिय ले चास्माभिः ( मावार्थ) जो आपने कहा सो ठीक है । सत्प्रतिपक्ष दोष नहीं है क्योंकि ईश्वर सर्व शक्तिमान् है । विना पैरों के चलता है विना कानोंके सुनता है ऐसा हम मानते हैं । १५

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