Book Title: Purn Vivaran
Author(s): Jain Tattva Prakashini Sabha
Publisher: Jain Tattva Prakashini Sabha

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Page 14
________________ (१२) को सोयङ्कालके ६॥ बजे आर्यसमाज भवन कैसरगंज में श्रीमान् स्वामीदर्शनान्दजी महाराज, कंधर दिग्विजयसिंहजी के श्राजके व्याख्यानका खंडन करेंगे। कृपा कर अवश्य पधारें। " र ता० २९-६-१२ जयदेव शर्मा मन्त्री आर्यसमाज, अजमेर ॥ ....स्वामी दर्शनानन्दजी ने अपने "जैनी पण्डितों के प्रश्नोत्तरों की समीना" शीर्षक ट्रैक्ट के अन्तमें यह चेलेज छपवा रक्खा था। चेलेज। ___ हमने जैनी पण्डितोंसे २० प्रश्न किये थे, जिनका उत्तर किसी जैनी पण्डित ने तो नहीं दिया, परन्तु जैनतत्त्वप्रकाशिनी सभा इटाबा ने श्रीमान् कंवर दिग्विजयसिंह जी बोधपुरा इटावा द्वारा उनका उत्तर दिलाया। कंवर दि. ग्विजयसिंहजी जैनधर्म के प्रतिष्ठित विद्वान् न होने के कारण सम्भव है कि उनके दिये यह उत्तर जैनियोंके लिये प्रामाणिक अथवा सर्वमान्य न हों, पर• न्तु जैनतत्त्वप्रकाशिनीसभा इटावा द्वारा प्रकाशित किये जानेसे यह उत्तर प्रा. माणिक भी समझे जासकते हैं। क्योंकि प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य है वह सत्या सत्य की परीक्षा करे कि जिससे असत्य को त्याग सत्यको ग्रहण करता हमा वह अपने जीवन को सत्याश्रित कर सफल करसके । हम हिन्दुस्तानके समस्त जैनधर्माबलम्वी विद्वानोंको चेलेज करते हैं कि यदि वे कुंवर साहिब के उत्तरों को, जो हमारी समझ में असत्य और भ्रममूलक हैं, सत्य समझते हों तो सत्य सिद्ध करने के लिये शास्त्रार्थ करें। यदि इन उत्तरों को असत्य श्री. र अप्रामाणिक समझते हों तो ऐसा किसी पत्र द्वारा प्रकाशित करदें और इमारे किये प्रश्नों का सत्य उत्तर प्रदान करें। इस शाखार्थको सूचना शाखार्थ की तिथिसे एक मास पूर्व “दयानन्द वेदप्रचारक मिशन लाहौर' के पते से मेरे पास पहंचनी चाहिये, इस कारण कि किसीको असुविधा नही। शाखार्थ देहली, भागरा, अजमेरमेंसे किसी स्थानपर हो सकता है। जैन विद्वानों का इन उत्तरों को सत्य मिद्ध करना और हमारा पक्ष उन को असत्य सिद्ध करना होगा और जो आक्षेप जैनधर्मावलम्बी विद्वान् वैदिक धर्मपर करेंगे, उनका उत्तर हम देंगे ॥ वैदिकधर्मका सेवकदर्शनानन्द सरस्वती,

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