Book Title: Purn Vivaran
Author(s): Jain Tattva Prakashini Sabha
Publisher: Jain Tattva Prakashini Sabha

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Page 44
________________ (४२) कर्ताके हो नहीं सकती । यदि कोई नादान लड़का यह कहे कि मेरा को कोई बाप नहीं तो क्या कोई बुद्विमान् इसको विना बापके पैदा हुमा मान लेगा, ईश्वर जानका विषय है वितण्डाका नहीं, किसी कविने कहा है। हर जगह मौजूद है पर वह नजर माता नहीं। ___ योगसाधनके बिना उसको कोई पाता नहीं। ईश्वरका धन्यवाद है कि इन की कलम से ये तो निकला कि नतत्वप्रकाशिनी सभा ने इसलिये इन्कार किया कि उनके पास अच्छे लेखक नहीं थे परन्तु यह केवल टालने की बात थी. क्योंकि जब लिखा हुआ पढ़कर मुना दिया जाता तो जो कुछ भल होती उसी समय ठीक हो सकती थी। आर्यसमाजने तो इन की चालाकी की पोल खोलने के लिये ईश्वरमष्टि कर्तृत्व विषयका नमूना बतलाया था, नहीं तो इस के लिये सब विषय एकसे हैं जिसमें जब चाहो शास्त्रार्थ करलो ॥ पं० मिट्ठनलालजी वकीलके विषयमें मनघड़न्त करने का सबक तो इन्हों ने घंटीसे ही सीखलिया है। एक दो दूसरे प्रतिष्ठित लोगों के विषय में भी मिथ्या खबरें उड़ादी जि. सका हाल जब उनको मालूम हुआ तो इनको बड़ा डाटा ॥ ___पं० दुर्गादत्तजीके विषय में वे हज़ार बैंचातान करें, यह तो उमभर की शूल उनके लिये होगई और शम्भुदत्तगी पूर्व सहायक सम्पादक जैनमित्र ज्ञान गोली चलाने वाले और खड़े हो गये। सहारनपुर से एक और तीरन्दाज की खबर आई है। अब आपके कृत्रिम सिंहके बच्चेको पिंजरे में रखिये, क्यों कि हाथियों की लड़ाई का समय नहीं है । न ज्ञान गोलेके सामने कृत्रिम खिंह ठहर सकता है न ख़याली लोकशिखर व शिला। पहिले वाला शास्त्रार्थ ॥ वैद्य चन्द्रसेनजी मन्त्री जैनतत्वप्रकाशिनी सभाके हस्ताक्षरी पत्रकी जिम्मेवारी पर हुआ था, न कि कुमार सभाके भरोसे पर। अब जब कि लोग दहीकी माह में हो गये और छोकरों को आगे करदिया तो हमें सारी पोल खोलनी पड़ी। हम फिर भी साफ २ शब्दों में लिखे देते हैं कि भार्यसमान हर समय शास्त्रार्थ करनेको तइयार है परन्तु कोई अजमेर निवासी प्रतिष्ठित जिम्मे. वार सामने आवे, क्योंकि बाहरके आदमियोंने पहिले ही स्वयं तालियां पि. टवा कर अपनी असभ्यता का परिचय देदिया है॥

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