Book Title: Purn Vivaran
Author(s): Jain Tattva Prakashini Sabha
Publisher: Jain Tattva Prakashini Sabha

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Page 68
________________ - यदि आप मिलना चाहें तो साज शामको ८ बजे से बजे तक सेठ ने. मीचंदजीके रंगमहल में उपर्यत सज्जनों से मिलने का कष्ट स्वीकार करिये। यदि आप उनको बुलाना चाहें तो अपने मिलने का समय लिसिये । . कृपया इस विषयमें मापाको अतीव शीघ्रता करनी चास्मेि जिससे कि इन लोगोंका समय व्यर्थ नष्ट न जाके। भवदीय कृपारधी-घीसूलाल प्रजमेरा मन्त्री भी मकुमार संघा. ता०९।७।१२ अनमेर । हमारे विज्ञापनके उत्तर भार्यसमाजकी और से प्राण पत्तको निम्न विज्ञापन प्राप्त हुआ। सोम बड़े बड़ाई ना करें, बड़े न बोलैं बोल। हीरा मुखसे ना कहै, लाख हमारा मोल ॥ .. पिछले दीतवारको आर्यसमाज भवन में सरावगियोंके सिवाय बहुतसे दूसरे भीई भी मौजूद थे, वे इस वातको साक्षी दे सकते हैं कि भार्यपुरुषोंने सरावगी भाइयोंको अपना महमान समझ उनके हजारों गाली गलोजको परवाह न कर शान्तिको कायम रक्खा और उनकी हर प्रकारसे खातिर करते | रहे, उसके बदले में झूठे लांछन लगाना, बैठनेके लिये फर्श विधानेको धूलि उड़ाना और पंखे हिलानेको हाथापाई समझना इन्हींका काम है। जिस शीर और गुलका अर्थ इन लोगोंने दुना सलाम राम राम वनमस्ते प्रादि किया है उस पर पढ़े लिखे लोगों को हंसी आये विना रह नहीं सकती, यदि हमारे सरावगी भाइयोंका उदंगल भार्यसमाज भवन तक ही रखता तो शायद उनकी यह बनावट चल भी जाती? परन्तु यह हा, हूका सिलसिला सारे शहर में जारी रक्खा गया, जिसे बच्चा बच्चा उनकी सभ्यता से वाकिफ गया और पुलिसको सर्वसाधारणको शान्तिको भङ्ग होनेका अं. देशा पैदा हो गया। यही कारण था कि पुलिस तहकीकात करना प्राव. सैक समका और हमको भी मजिस्ट्रद्रकी प्राजा लेकर शाखा करनेका नि. यम रखना जरुरी मालम हुआ श्रार्य उपदेशोंका इनकी सभामें इनकी म

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