Book Title: Purn Vivaran
Author(s): Jain Tattva Prakashini Sabha
Publisher: Jain Tattva Prakashini Sabha

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Page 26
________________ ( २४ ) साथ ही साथ दीवान बहादुर पंडित गोविन्द रामचन्द्र खांडेकर भूतपूर्व ए. क्सट्रा जुडिशल कमिश्नर, राय बहादुर पंडित सुखदेव प्रसाद जी भूतपूर्व दीवान जोधपुर, राय सेठ चान्दमल जी नरेरी मैजिस्ट्रेट, कुंवर छगनमल जी श्रानरेरी मजिस्ट्रेट, पंडित दामोदर दास जी प्रोफेसर प्राव संस्कृत गवर्नाण्ट कालेज, सेठ बुद्ध करण जी मेहता और आप वहादुर सेठ सोभाग मल जी डड्डा श्रादि सज्जन पधारे थे। भजन व मङ्गलाचरण होने के पश्चात् सर्व सम्मति से राय वहादुर सेठ... सोभाग़ मल जी हड्डा ने सभापतिका प्रासन सुशोभित किया। घोर करताल और हर्ष ध्वनिके मध्य श्रीमान वादि गजकेसरी जी व्याख्यान देनेको उठे और आपने लगभग दो घण्टे तक जैन तत्त्वोंका स्वरूप ऐसी योग्यता और विद्वत्तासे सरल भाषामें वर्णन किया कि लोम सुनकर दङ्ग रह गये और पंडितजीके विद्या, बुद्धि और व्याख्यान, शैलीको प्रशंसा सहस्त्र मुखसे करने लगे। भजन होने के पश्चाद् जयकार ध्वनिसे सभा समाप्त हुई। । मङ्गलवार २ जलाई ११२ ईस्वी। । यद्यपि पूर्व निश्चित प्रोग्रामके अनुसार सभाका अधिबेशन कल ही समाप्त हो जाना चाहिये था परन्तु सर्व साधारण के अनुरोधसे प्राजका दिवस और बढ़ाया गया । मध्यान्हको नियत समयपर सभाका कार्य पुनः प्रारम्म हुमा । भजन व मङ्गलाचरण होने के पश्चाद् विद्यार्थी देवकी नन्दन जी ने शिमरधो निवामी शम्भुदयाल जी तिवारी वर्तमान निवास स्थान वाबू हरि पदो मुकर्जी पीरभिट्टांगली गांछान अजमेरको शङ्कामोंका निम्न पत्र पढ़ कर सुनाया ॥ मो३म् . . . - श्रीमान मंत्री... . .. जैन कुमार सभा अजमेर ::कृपया मेरे दो प्रश्नों के उत्तर जो निम्न लिखित हैं और जिनकी मुझे शंका है जैनतत्वप्रकाशिनी सभाके किसी योग्य सञ्चालक से सर्व साधारण के सा. महने प्रगट करा कर मेरे पास शीघ्र भेजने की कृपा करें। श्रीयुत ठाकर दिग्विजय सिंह जी ने जो व्याख्यान ता० २९-६--१२ की रात्रि को दिया था उसी में जैनधर्मके सम्बन्ध में ये शंकाएं उद्भत हुई हैं। (१) अभव्य राशिको पायमात्र बदलने पर श्री जैन धर्म मुक्ति नहीं दे सक्ता। हां स्वर्गादि मुख उसे भी प्राप्त हो सक्त है।

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