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345 प्रश्र मोहनीय कर्म की सत्ता किस मुण स्थानक तक रहती है? उत्तर मोहनीय कर्म की सत्ता ग्यारहवें उपशान्तमोह गुणस्थानक
तक रहती है। 346 प्रश्र चारित्रवन्त जीवात्मा में कितने गुणस्थानक होते है?
चारित्रवन्त जीवात्मा में अंतिम नव गुण स्थानक होते है। अर्थात् छठे अप्रमत्त संयत गुणस्थानक से लेकर चौदहवें अयोगी केवली गुणस्थानक होते है। ज्ञानी और अज्ञानी जीवात्मा में कितने गुणस्थानक होते
उत्तर
347 प्रश्र
उत्तर
348 प्रश्र
ज्ञानी जीवात्मा में बारह गुण स्थानक होते है तथा अज्ञानी जीवात्मा में पहला मिथ्यात्व दूसरा सास्वादन, तीसरा मिश्रगुण स्थान अर्थात् प्रारंभ से तीन गुणस्थानक होते है। आहारक गुणस्थानक कितने होते है? प्रथम मिथ्यात्व से लेकर संयोगी केवली गुणस्थानक आहरिक है। केवल चौदहवाँ अयोगी केवली गुणस्थानक की अनाहारक होता है। सकषाय और अकषायी जीवात्मामें गुणस्थानक कितने होते
उत्तर
349 प्रश्र
उत्तर सकषायी जीवात्मा में दशगुण स्थानक होते है तथा अकषायी
जीवात्मा में अंतिम चार गुणस्थानक होते है। 350 प्रश्र अशरीरी जीवात्मा में गुणस्थानक कितने होते है?
अशरीरी जीवात्मा में एकमी गुणस्थानक नहीं होता है। 351 प्रश्र सातवें अप्रमत्त गुणस्थानकमें लेश्या कितनी होती है? उत्तर सातवें अप्रमत्त गुणस्थानकमें तेजो, पद्म और शुक्ल लेश्या
- ये तीन शुभ लेश्या होती है।
उत्तर
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